Chanakya Niti: इन आदतों की वजह से घर में नहीं रहता मां लक्ष्मी का वास, पढ़ें ये चाणक्य नीति
आचार्य चाणक्य के अनुसार, कुछ आदतें व्यक्ति को दरिद्रता की ओर धकेलती हैं और मां लक्ष्मी को अप्रसन्न करती हैं। इनमें गंदगी और अत्यधिक क्रोध समेत कई अन्य बातें शामिल हैं। इन आदतों (Chanakya Niti) से दूर रहकर ही व्यक्ति धन और सम्मान प्राप्त कर सकता है।

Chanakya Niti: पढ़ें ये चाणक्य नीति।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास के सबसे महान कूटनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और दार्शनिकों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी नीतिशास्त्र यानी 'चाणक्य नीति' (Chanakya Niti) में जीवन के हर पहलू के बारे में बताया। उनके अनुसार, मनुष्य की कुछ ऐसी आदतें होती हैं, जो उसे दरिद्रता की ओर धकेलती हैं और जिनके कारण धन की देवी मां लक्ष्मी उस घर में कभी वास नहीं करती हैं। आइए उनके बारे में जानते हैं।

गंदगी
- गंदे वस्त्र - जो लोग गंदे कपड़े पहनते हैं और स्नान नहीं करते हैं, वे हमेशा भाग्यहीन रहते हैं।
- गंदा घर - घर में कूड़ा-कचरा या मकड़ी के जाले लगे रहने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, जिससे लक्ष्मी जी का आगमन रुक जाता है।
- गंदे दांतों - आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जो लोग अपने दांतों की सफाई पर ध्यान नहीं देते, उनका सौभाग्य उनसे दूर हो जाता है।
कठोर वाणी और गुस्सा
- कठोर शब्द - जो व्यक्ति हर समय कठोर बातें बोलते हैं और दूसरों का अपमान करते हैं, उसे समाज में सम्मान नहीं मिलता और धीरे-धीरे उसका धन नष्ट होने लगता है।
- ज्यादा क्रोध - गुस्सा बुद्धि का नाश करता है। ज्यादा गुस्सा करने से व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले पाता, जिससे करियर में हानि होती है और मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं।
आलस्य
- सूर्य उदय के बाद सोना - जो लोग सूर्य उदय के बाद तक सोते रहते हैं या दिन भर आलस्य में पड़े रहते हैं, वे अवसरों को खो देते हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार, आलस्य मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। आलसी व्यक्ति परिश्रम से जी चुराता है, जिससे वह कभी भी धन इक्ट्ठा नहीं कर पाता।
फिजूलखर्ची
- जो व्यक्ति धन की कद्र नहीं करता और बिना सोचे-समझे फिजूलखर्ची करता है, उसके पास पैसा नहीं टिकता है। चाणक्य कहते हैं कि धन को हमेशा सम्मान देना चाहिए। जो व्यक्ति धन का अनादर करते हैं, लक्ष्मी जी उसे छोड़कर चली जाती हैं।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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