Magh Kalashtami 2025: कालाष्टमी पर दुर्लभ 'द्विपुष्कर योग' समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग
माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी और कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान कृष्ण और काल भैरव की पूजा (Kaal Bhairav Puja Vidhi) की जाती है। धार्मिक मत है कि भगवान कृष्ण की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 21 जनवरी को मासिक कालाष्टमी है। यह पर्व हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। तंत्र साधना करने वाले साधक कालाष्टमी पर काल भैरव देव की कठिन साधना एवं उपासना करते हैं।
धार्मिक मत है कि काल भैरव देव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। वहीं, कठिन भक्ति करने वाले साधकों पर काल भैरव देव की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्लभ द्विपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होगी।
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कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 21 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी और 22 जनवरी को दोपहर 03 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। कालाष्टमी पर निशा काल में काल भैरव देव की पूजा की जाती है। अत: 21 जनवरी को मासिक कालाष्टमी मनाई जाएगी। वहीं, निशा काल में देर रात 12 बजकर 06 मिनट से लेकर 12 बजकर 59 मिनट पर काल भैरव देव की पूजा की जाएगी।
द्विपुष्कर योग (Dwipushkar Yoga)
ज्योतिषियों की मानें तो माघ माह की कालाष्टमी पर दुर्लभ द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। इस शुभ योग का संयोग सुबह 07 बजकर 14 से बन रहा है। वहीं, द्विपुष्कर योग को समापन दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर होगा। द्विपुष्कर योग में काल भैरव देव की पूजा करने से दोगुना फल मिलता है। साथ ही कालाष्टमी पर शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होगी।
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 14 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 51 मिनट पर
चंद्रोदय- देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर
चंद्रास्त- दिन 11 बजकर 40 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से 03 बजकर 01 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 49 मिनट से 06 बजकर 16 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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