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    Kailash Mountain Mystery: क्या है कैलाश पर्वत का रहस्य, आज तक शिखर पर क्यों नहीं चढ़ पाया कोई

    कैलाश पर्वत जो हिमालय के सुदूर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है बौद्ध जैन हिंदू और बोन धर्मों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। 6638 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस पर्वत पर अभी तक कोई नहीं चढ़ पाया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां का चुंबकीय क्षेत्र बहुत अधिक है जिससे आधुनिक तकनीक काम नहीं करती।

    By Shashank Shekhar Bajpai Edited By: Shashank Shekhar Bajpai Updated: Mon, 07 Jul 2025 04:47 PM (IST)
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    Kailash Mountain Mystery: यह पिरामिड के आकार वाली चोटी है, जो दुनिया में कहीं और नहीं है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिमालय में तिब्बत के सुदूर दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित एक आकर्षक चोटी है कैलाश। कहते हैं सृष्टि के संघारक भोलेनाथ इस चोटी पर गहन ध्यान साधना करते हैं। चार धर्मों बौद्ध, जैन, हिंदू और तिब्बती धर्म बोन के लिए यह महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

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    मगर, इस पर्वत पर आज तक कोई चढ़ नहीं सका है। वैसे तो इस पर्वत से ऊंचे कई पहाड़ हैं, जिनकी चोटियों पर पर्वतारोही पहुंच चुके हैं। मगर, कैलाश पर चढ़ना (Kailash Mountain Mystery) किसी के बस की बात नहीं है।

    उत्तराखंड सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, 6638 मीटर (21778 फीट) की ऊंचाई पर स्थित यह हिमालय के सबसे ऊंचे हिस्सों में से एक है और एशिया की कुछ सबसे लंबी नदियों का स्रोत है। 

    पिरामिड के जैसी है इसकी संरचना

    तिब्बत में इसे गंग टीसे या गंग रिनप्रोचे के नाम से जाना जाता है। यह पिरामिड के आकार वाली चोटी है, जो दुनिया में कहीं और नहीं है। हर साल दुनिया भर से हजारों लोग इस स्थान की तीर्थयात्रा करते हैं। 52 किलोमीटर की पैदल यात्रा आसान नहीं है।

    आम तौर पर लोगों को यह पैदल यात्रा पूरी करने में 3 दिन लगते हैं। हिंदू और बौद्ध तीर्थयात्री घड़ी की सुई की दिशा में चलते हैं। वहीं, जैन और बॉन अनुयायी वामावर्त दिशा में चलते हैं। इसे पूरा करने के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से मजबूत होना चाहिए।

    क्यों नहीं चढ़ सका कोई ये पहाड़

    बीते कई सालों में कई पर्वतारोहियों ने कैलाश पर चढ़ाई (Kailash Mountain Mystery) की असफल कोशिश की है। कोई भी उसकी चोटी तक नहीं पहुंच सका है। वैज्ञानिक शोध कहते हैं कि कैलाश में चुंबकीय क्षेत्र बहुत ज्यादा है। इस वजह से यहां पर आधुनिक तकनीक और कंपास काम करना बंद कर देते हैं। 

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    चुनौतीपूर्ण है कैलाश की चढ़ाई

    माउंट एवरेस्ट की तुलना में कैलाश की चढ़ाई बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण और रहस्यमयी है। यह पर्वत चारों तरफ से एक पिरामिड की तरह का है। यहां अचानक मौसमी बदलाव बहुत ज्यादा होता है और ऊर्जा के हलचल इतनी ज्यादा है की पर्वतारोहियों को मानसिक भ्रम और थकावट होती है, जिससे वह आगे नहीं बढ़ पाते हैं। 

    कुछ पर्वतारोहियों ने बताया कि यहां पर कुछ अदृश्य शक्तियां हैं, जो कैलाश में उन्हें आगे बढ़ने से रोक देती हैं। कैलाश पर समय की गति बहुत बढ़ जाती है। कुछ ही घंटे में लोगों के नाखून और बाल तेजी से बढ़ने का अनुभव भी उन्होंने शेयर किया है। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।