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    Dhanu Sankranti 2024: धनु संक्रांति पर करें सूर्य देव के नामों का मंत्र जप, करियर को मिलेगा नया आयाम

    ज्योतिषियों की मानें तो धनु संक्रांति (Dhanu Sankranti 2024) पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही शुभ का भी संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान भास्कर की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही करियर और कारोबार को नया आयाम मिलता है। सूर्य देव की पूजा करने से शारीरिक कष्ट भी दूर हो जाते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 12 Dec 2024 06:53 PM (IST)
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    Dhanu Sankranti 2024: धनु संक्रांति का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 15 दिसंबर को धनु संक्रांति है। इस शुभ अवसर पर सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। सूर्य देव 15 दिसंबर को धनु राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के धनु राशि में गोचर करने की तिथि पर धनु संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन से खरमास शुरू हो जाएगा। खरमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य के धनु या मीन राशि में गोचर करने पर गुरु का प्रभाव क्षीण हो जाता है। इसके लिए खरमास के समय में मंगल कार्य नहीं किया जाता है। इस दौरान सूर्य देव की पूजा एवं उपासना की जाती है। सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। अगर आप भी सूर्य देव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो धनु संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करें। वहीं, पूजा के समय सूर्य देव के नामों का जप करें।

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    सूर्य देव 108 नाम

    1. ॐ नित्यानन्दाय नमः।

    2. ॐ निखिलागमवेद्याय नमः।

    3. ॐ दीप्तमूर्तये नमः।

    4. ॐ सौख्यदायिने नमः।

    5. ॐ श्रेयसे नमः।

    6. ॐ श्रीमते नमः।

    7. ॐ अं सुप्रसन्नाय नमः।

    8. ॐ ऐं इष्टार्थदाय नमः।

    9. ॐ सम्पत्कराय नमः।

    10. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।

    11. ॐ तेजोरूपाय नमः।

    12. ॐ परेशाय नमः।

    13. ॐ नारायणाय नमः।

    14. ॐ कवये नमः।

    15. ॐ सूर्याय नमः।

    16. ॐ सकलजगतांपतये नमः।

    17. ॐ सौख्यप्रदाय नमः।

    18. ॐ आदिमध्यान्तरहिताय नमः।

    19. ॐ भास्कराय नमः

    20. ॐ ग्रहाणांपतये नमः।

    21. ॐ वरेण्याय नमः।

    22. ॐ तरुणाय नमः।

    23. ॐ परमात्मने नमः।

    24. ॐ हरये नमः।

    25. ॐ रवये नमः।

    26. ॐ अहस्कराय नमः।

    27. ॐ परस्मै ज्योतिषे नमः।

    28. ॐ अमरेशाय नमः।

    29. ॐ अच्युताय नमः।

    30. ॐ आत्मरूपिणे नमः।

    31. ॐ अचिन्त्याय नमः।

    32. ॐ अन्तर्बहिः प्रकाशाय नमः।

    33. ॐ अब्जवल्लभाय नमः।

    34. ॐ कमनीयकराय नमः।

    35. ॐ असुरारये नमः।

    36. ॐ उच्चस्थान समारूढरथस्थाय नमः।

    37. ॐ जन्ममृत्युजराव्याधिवर्जिताय नमः।

    38. ॐ जगदानन्दहेतवे नमः।

    39. ॐ जयिने नमः।

    40. ॐ ओजस्कराय नमः।

    41. ॐ भक्तवश्याय नमः।

    42. ॐ दशदिक्संप्रकाशाय नमः।

    43. ॐ शौरये नमः।

    44. ॐ हरिदश्वाय नमः।

    45. ॐ शर्वाय नमः।

    46. ॐ ऐश्वर्यदाय नमः।

    47. ॐ ब्रह्मणे नमः।

    48. ॐ बृहते नमः।

    49. ॐ घृणिभृते नमः।

    50. ॐ गुणात्मने नमः।

    51. ॐ सृष्टिस्थित्यन्तकारिणे नमः।

    52. ॐ भगवते नमः।

    53. ॐ एकाकिने नमः।

    54. ॐ आर्तशरण्याय नमः।

    55. ॐ अपवर्गप्रदाय नमः।

    56. ॐ सत्यानन्दस्वरूपिणे नमः।

    57. ॐ लूनिताखिलदैत्याय नमः।

    58. ॐ खद्योताय नमः।

    59. ॐ कनत्कनकभूषाय नमः।

    60. ॐ घनाय नमः।

    61. ॐ कान्तिदाय नमः।

    62. ॐ शान्ताय नमः।

    63. ॐ लुप्तदन्ताय नमः।

    64. ॐ पुष्कराक्षाय नमः।

    65. ॐ ऋक्षाधिनाथमित्राय नमः।

    66. ॐ उज्ज्वलतेजसे नमः।

    67. ॐ ऋकारमातृकावर्णरूपाय नमः।

    68. ॐ नित्यस्तुत्याय नमः।

    69. ॐ ऋजुस्वभावचित्ताय नमः।

    70. ॐ ऋक्षचक्रचराय नमः।

    71. ॐ रुग्घन्त्रे नमः।

    72. ॐ ऋषिवन्द्याय नमः।

    73. ॐ ऊरुद्वयाभावरूपयुक्तसारथये नमः।

    74. ॐ जयाय नमः।

    75. ॐ निर्जराय नमः।

    76. ॐ वीराय नमः।

    77. ॐ ऊर्जस्वलाय नमः।

    78. ॐ हृषीकेशाय नमः।

    79. ॐ उद्यत्किरणजालाय नमः।

    80. ॐ विवस्वते नमः।

    81. ॐ ऊर्ध्वगाय नमः।

    82. ॐ उग्ररूपाय नमः।

    83. ॐ उज्ज्वल नमः।

    84. ॐ वासुदेवाय नमः।

    85. ॐ वसवे नमः।

    86. ॐ वसुप्रदाय नमः।

    87. ॐ सुवर्चसे नमः।

    88. ॐ सुशीलाय नमः।

    89. ॐ सुप्रसन्नाय नमः।

    90. ॐ ईशाय नमः।

    91. ॐ वन्दनीयाय नमः।

    92. ॐ इन्दिरामन्दिराप्ताय नमः।

    93. ॐ भानवे नमः।

    94. ॐ इन्द्राय नमः।

    95. ॐ इज्याय नमः।

    96. ॐ विश्वरूपाय नमः।

    97. ॐ इनाय नमः।

    98. ॐ अनन्ताय नमः।

    99. ॐ अखिलज्ञाय नमः।

    100. ॐ अच्युताय नमः।

    101. ॐ अखिलागमवेदिने नमः।

    102. ॐ आदिभूताय नमः।

    103 ॐ आदित्याय नमः।

    104. ॐ आर्तरक्षकाय नमः।

    105. ॐ असमानबलाय नमः।

    106. ॐ करुणारससिन्धवे नमः।

    107. ॐ शरण्याय नमः।

    108. ॐ अरुणाय नमः।

    सूर्य देव राशि परिवर्तन

    सूर्य देव एक राशि में 30 दिनों तक रहते हैं। इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने की तिथि को संक्रांति कहा जाता है। इस शुभ अवसर पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है। इसके बाद सूर्य देव की पूजा एवं दान-पुण्य किया जाता है। सूर्य देव की उपासना करने से साधक को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

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