Makara Sankranti 2023: जानें, क्यों भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर किया था अपना देह त्याग
Makara sankranti 2023 भगवत गीता में वर्णित है कि जो व्यक्ति सूर्य के उत्तरायण होने पर दिन के उजाले में शुक्ल पक्ष में अपने प्राण का त्याग करता है वह सत्य व्यक्ति पुन मृत्यु भवन में लौट कर नहीं आता है। व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
नई दिल्ली, Makara sankranti 2023: आज मकर संक्रांति है। यह पर्व हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है। इस वर्ष नक्षत्र का संयोग 15 जनवरी को पड़ रहा है। इसके लिए मकर संक्रांति 15 जनवरी यानी आज है। सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं। यह पर्व माघ महीने में मनाया जाता है। वहीं, माघ माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भीम अष्टमी मनाई जाती है।
इस प्रकार साल 2023 में 28 जनवरी को भीष्म अष्टमी है। इस दिन पितामह भीष्म ने अपना देह त्याग किया था। इसके लिए पितामह ने तकरीबन दो महीने का इंतजार किया था। इस दौरान भीष्म पितामह बाण शैया पर पड़े रहे थे। शास्त्रों में भीष्म अष्टमी के दिन श्राद्ध करने का विधान है। लेकिन क्या आपको पता है कि पितामह भीष्म देह त्याग के लिए क्यों 58 दिनों तक बाण शैया पर पड़े थे ? अगर नहीं पता है, तो आइए जानते हैं-
क्या है पौराणिक कथा ?
सनातन शास्त्रों की मानें तो महाभारत युद्ध के दौरान धनुर्धर अर्जुन के बाणों से पूरी तरह घायल हो गए थे। भीष्म पितामह इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था। इस बारे में कथा है कि पिता की इच्छा पूर्ति हेतु भीष्म पितामह ने विवाह नहीं किया। इस त्याग से प्रसन्न होकर उनके पिता राजा शांतनु ने उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान दिया था। इसके चलते युद्ध में घायल होने के बाद भी उनको मोक्ष की प्राप्ति नहीं हुई। भीष्म पितामह जब घायल हुए थे, तो सूर्य दक्षिणायन था।
भगवत गीता में वर्णित है कि जो व्यक्ति सूर्य के उत्तरायण में, दिन के उजाले में, शुक्ल पक्ष में अपने प्राण त्यागता है, वह सत्य व्यक्ति पुन: मृत्यु भवन में लौट कर नहीं आता है। व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, सूर्य मकर संक्रांति पर दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। जब सूर्य उत्तरायण हुआ, तो शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भीष्म पितामह ने अपना देह त्याग किया। इसके लिए मकर संक्रांति का दिन बेहद शुभ होता है।
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