Pitru Paksha 2025 Date: कब से शुरू होंगे पितृ पक्ष? अभी नोट करें डेट, इन बातों का रखें ध्यान
सनातन धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) की अवधि का विशेष महत्व है। इस दौरान शुभ और मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा से होती है और सर्व पितृ अमावस्या के दिन समापन होता है। इस दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) में पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष में पितरों का धरती पर आगमन होता है। इस दौरान पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने से साधक को पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। साथ ही पितरों की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि इस वर्ष कब से शुरू होंगे पितृ पक्ष?
पितृ पक्ष 2025 डेट (Pitru Paksha 2025 Start Date)
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट पर होगी और 07 सितंबर को रात 11 बजकर 38 मिनट पर तिथि खत्म होगी। ऐसे में 07 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू होंगे और सर्व पितृ अमावस्या के दिन यानी 21 सितंबर को खत्म होंगे।
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करें ये उपाय
पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करना फलदायी माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस पेड़ में पितरों का वास माना जाता है। इस पेड़ के पास दीपक में तेल और काले तिल डालकर जलाएं। इसके बाद पेड़ की सात परिक्रमा लगाएं। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में इस उपाय को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है।
न करें ये काम
पितृ पक्ष के समय कई विशेष नियम का पालन करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि नियम का पालन न करने से साधक को जीवन में कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। पितृ पक्ष में सगाई, मुंडन, उपनयन संस्कार नहीं करना चाहिए। तामसिक भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा किसी नए काम की शुरुआत न करें।
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जरूर करें दान
पितृ पक्ष में दान करने का विशेष महत्व है। इस दौरान दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और जीवन में किसी चीज की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
इन मंत्रो का करें जप
1. ॐ पितृ देवतायै नम:
2. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
4. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
5. ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।
शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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