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    Pitra Dosh Upay: क्यों और कैसे लगता है पितृ दोष? यहां जानें लक्षण और बचाव के उपाय

    Updated: Thu, 30 Jan 2025 10:53 AM (IST)

    अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष लगा है तो यह बहुत ही कष्टदायक माना जाता है। पितृ दोष केवल पितरों की नाराजगी से नहीं लगता बल्कि इसके और भी कई कारण होते हैं। पितृ दोष (Pitra Dosh) होने पर व्यक्ति को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं पितृ दोष के लक्षण और इससे बचाव के उपाय।

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    Pitra Dosh Upay पितृ दोष से करें अपना बचाव

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ दोष के होने पर व्यक्ति को कई तरह के संकेत मिलने लगते हैं। ऐसे में इससे बचाव के लिए कुछ उपाय भी बताए गए हैं, जिन्हें करने से आप पितृ दोष से राहत पा सकते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर व्यक्ति कि किन गलतियों के कारण उसे पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है।

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    कैसे लगता है पितृ दोष

    मान्यताओं के अनुसार, जब किसी का अंतिम संस्कार सही विधान से न किया जाता या फिर पिंडदान, तर्पण, और श्राद्ध आदि नहीं किए जाते हैं, तो ऐसे में पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती हैं। तब व्यक्ति को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। पितृ दोष इसलिए भी कष्टदायी है क्योंकि इसका असर कई पीढ़ियों तक रहता है। ऐसे में व्यक्ति को कभी-कभी अपने नहीं बल्कि अपने पूर्वजों के कर्मों के कारण भी पितृ दोष झेलना पड़ सकता है।

    इसके अलावा पीपल, नीम, या बरगद जैसे पेड़ को काटने, जाने-अनजाने में सांप की हत्या करने आदि से भी व्यक्ति को पितृ दोष का सामना करना पड़ सकता है। इसी के साथ अगर किसी की कुंडली में राहु केंद्र में या फिर त्रिकोण में हो तो यह भी पितृ दोष का कारण बनता है।

    पितृ दोष के लक्षण

    पितृ दोष होने पर घर में लड़ाई-झगड़ा बढ़ने लगते हैं। यहां तक की संतान प्राप्ति में भी दिक्कतें आती हैं। घर में हमेशा किसी का बीमार रहना, कारोबार में लगातार गिरावट, घर में पीपल का उगना या फिर तुलसी का अचानक से सूख जाना आदि भी पितृ दोष होने की ओर संकेत करते हैं। इसके अलावा विवाह में देरी होना, कोई दुर्घटना होना आदि भी पितृ दोष की ओर इशारा करते हैं।

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    कैसे करें बचाव

    पितृ दोष से राहत पाने के लिए हर अमावस्या तिथि पर पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध आदि करें और पीपल के पेड़ में जल चढ़ाए। इसी के साथ पितृ पक्ष की पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए एक उत्तम अवधि है। आप इस अवधि में रोजाना पितृ स्तोत्र का पाठ करें, साथ ही रोजाना गीता का भी पाठ करें।

    इसी के साथ पितरों के नाम का भोजन और जल भी निकालें। जल में काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा में अर्घ्य दें। साथ ही शिव जी की पूजा-अर्चना करें और शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाएं। इस सभी उपायों को करने से आपको अपनी स्थिति में लाभ देखने को मिल सकता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।