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    Falgun Amavasya 2025 Date: कब है फाल्गुन अमावस्या? एक क्लिक में नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    ज्योतिषियों की मानें तो फाल्गुन अमावस्या पर कई मंगलकारी शुभ योग (Falgun Amavasya 2025 Date) बन रहे हैं। इनमें शिव योग भी शामिल है। शिव योग में देवों के देव महादेव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी। फाल्गुन अमावस्या पर पितरों का भी तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 28 Jan 2025 07:18 PM (IST)
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    Falgun Amavasya 2025 Date: फाल्गुन अमावस्या का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Falgun Amavasya 2025 Date: फाल्गुन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। फागुन महीने में ही महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इसके साथ ही फाल्गुन पूर्णिमा पर होली मनाई जाती है। फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन से चैत्र महीने की शुरुआत होती है।

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    वहीं, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही अविवाहित जातकों की शादी शीघ्र हो जाती है। बड़ी संख्या में साधक शिवरात्रि के दिन व्रत रखते हैं। इसके अगले दिन फाल्गुन अमावस्या मनाई जाती है। आइए, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-

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    फाल्गुन अमावस्या शुभ मुहूर्त (Falgun Amavasya Shubh Muhurat)

    ज्योतिषीय गणना के अनुसार, फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 28 फरवरी को सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना होती है। इसके लिए 27 फरवरी को फाल्गुन अमावस्या मनाई जाएगी।

    पूजा विधि

    फाल्गुन अमावस्या के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय भगवान शिव का ध्यान करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कामों से निपटने के बाद गंगा नदी में स्नान करें। इस समय बहती जलधारा में तिल प्रवाहित करें। असुविधा होने पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर सफेद रंग के कपड़े पहनें। इस समय सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान शिव की पूजा करें। इस समय शिव चालीसा का पाठ और मंत्र जप करें। पूजा का समापन आरती से करें। पूजा के बाद दान करें।

    पंचांग

    सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 48 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 20 मिनट पर

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 08 मिनट से 05 बजकर 58 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 1ृ5 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 42 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।