Puah purnima 2025 Date: कब है साल की पहली पूर्णिमा? अभी नोट करें डेट और शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा (Puah Purnima 2025) के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही श्रद्धा अनुसार विशेष चीजों का दान किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इन कामों को करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और धन लाभ के योग बनते हैं। साथ ही जीवन खुशहाल होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पूर्णिमा का दिन अधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस दिन सभी तरह के सुखों की प्राप्ति के लिए पूर्णिमा व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और पूजा-अर्चना करने से अन्न और धन में वृद्धि होती है। पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण पूजा करने संकट दूर होते हैं। आइए, पौष पूर्णिमा (Puah Purnima 2025) की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं ।
पौष पूर्णिमा 2025 डेट और टाइम (Paush Purnima 2025 Date and Time)
पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 जनवरी को दोपहर 05 बजकर 03 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 14 जनवरी को रात्रि को 03 बजकर 56 मिनट पर होगा। ऐसे में पौष पूर्णिमा 13 जनवरी (Kab Hai Paush Purnima 2025) को मनाई जाएगी।
यह भी पढ़ें: Paush Month Festival List 2025: सोमवती अमावस्या से लेकर पौष पूर्णिमा तक, देखें व्रत-त्योहार की सही डेट
शुभ समय (Today Shubh Muhurat)
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 15 मिनट से 02 बजकर 57 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 45 मिनट पर
चंद्रोदय- शाम 05 बजकर 04 मिनट पर
चंद्रास्त- कोई नहीं।
पौष पूर्णिमा के दिन क्या न करें (What not to do on Paush Purnima)
पूर्णिमा के दिन तामसिक चीजों का करने से बचना चाहिए।
बातचीत के समय अभद्र भाषा का प्रयोग न करें।
बड़े-बुर्जुग और महिलाओं का अपमान भूलकर भी न करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
धन की बर्बादी न करें।
मां लक्ष्मी के मंत्र
1. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
यह भी पढ़ें: Mahakumbh Mela 2025 Date: पौष पूर्णिमा से शुरू हो रहा महाकुंभ मेला, नोट करें शाही स्नान की सही तिथियां
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।