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    Purnima 2025 Date: पौष महीने में इस दिन करें श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा, जीवन की हर समस्या होगी दूर

    सनातन धर्म में पौष पूर्णिमा तिथि (Pausha Purnima 2025 Date) पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा के बाद दान-पुण्य करते हैं। धार्मिक मत है कि पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही हर मनोकामना पूरी होती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 26 Dec 2024 02:32 PM (IST)
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    Paush Purnima 2025 Date: कब है पौष पूर्णिमा? नोट करें सही डेट एवं मुहूर्त

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पौष महीने का विशेष महत्व है। यह महीना पूर्णतया सूर्य देव को समर्पित होता है। इस महीने में प्रतिदिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त रविवार के दिन व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही करियर और कारोबार को नया आयाम मिलता है। वहीं, पौष महीने का समापन पूर्णिमा तिथि पर होता है। इस शुभ अवसर पर श्रीसत्यनारायण भगवान की पूजा की जाती है। अगर आप भी आर्थिक तंगी समेत जीवन की हर समस्या से निजात पाना चाहते हैं, तो पौष महीने में इस दिन श्रीसत्यनारायण देव की पूजा (Paush Purnima 2025 Date) करें। आइए, तिथि और शुभ मुहूर्त जानते हैं-  

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    शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 जनवरी को सुबह 05 बजकर 03 मिनट पर होगी और 14 जनवरी को देर रात 03 बजकर 56 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अत: 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर श्रीसत्यनारायण देव की पूजा कर सकते हैं।  

    पौष पूर्णिमा शुभ योग

    अगले साल पौष पूर्णिमा पर रवि योग और भद्रावास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आएगी। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाएंगे। ज्योतिष रवि योग को शुभ मानते हैं।

    पंचांग

    सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 45 मिनट पर

    चन्द्रोदय- शाम 05 बजकर 04 मिनट पर

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 15 मिनट से 02 बजकर 57 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'