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    Phulera Dooj 2025: कब और क्यों मनाया जाता है फुलेरा दूज का त्योहार? श्री राधा कृष्ण से जुड़ा है पर्व

    होली से पहले फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज (Phulera Dooj 2025) का त्योहार मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर फूलों की होली खेली जाती है। इस प्रमुख पर्व को मथुरा और वृंदावन में बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस पर्व को मनाने की खास वजह के बारे में।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 17 Feb 2025 10:16 AM (IST)
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    Phulera Dooj 2025: फुलेरा दूज की कथा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज (Phulera Dooj 2025) मनाई जाती है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को समर्पित है। इस तिथि पर श्री राधा-कृष्ण की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही श्री कृष्ण और राधा रानी पर फूलों की वर्षा की जाती है। इस दिन पूरे ब्रज में बेहद खास रौनक देखने को मिलती है।

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    धार्मिक मान्यता के अनुसार, फुलेरा दूज पर सच्चे मन से श्री राधा-कृष्ण की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और जीवन में सफलता के रास्ते खुलते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी विशेष बातें।

    फुलेरा दूज 2025 डेट और टाइम (Phulera Dooj 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि  01 मार्च को रात्रि 03 बजकर 16 मिनट से शुरू हो रही है और तिथि का समापन 02 मार्च को रात्रि 12 बजकर 09 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि का विशेष महत्व है। इस प्रकार 01 मार्च को देशभर में फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाएगा।  

    यह भी पढ़ें:  Falgun Festival List 2025: फाल्गुन में कब है महाशिवरात्रि और होली? यहां देखें व्रत-त्योहारों की डेट

     

    शुभ मुहूर्त

    अमृत काल - सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 06 मिनट तक

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 07 मिनट से 05 बजकर 56 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 18 मिनट से 06 बजकर 43 मिनट तक

    फुलेरा दूज की कथा (Phulera Dooj Katha in Hindi)

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऐसा समय आया कि जब भगवान श्री कृष्ण काफी दिन से श्री राधा रानी से मिल नहीं पा रहे थे, जिससे राधा रानी नाराज हो गईं। कृष्ण जी से न मिलने पर राधा रानी उदास हो गईं और मथुरा के फूल मुरझा गए। जब यह बात भगवान श्री कृष्ण को पता चली, तो कृष्ण जी स्वयं उनसे मिलने के लिए पहुंच गए। इसकी वजह से मथुरा में चारों ओर हरियाली छा गई। इस दौरान कान्हा जी ने राधा रानी पर खिल रहे फूल फेंक दिए।

    फिर राधा जी ने भी श्री कृष्ण के साथ ऐसा ही किया। इस दृश्य को देखकर ग्वाल बाल और गोपियों ने भी भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी पर फूलों की वर्षा करने लगे। धार्मिक मान्यता है कि तभी फुलेरा दूज के पर्व को मनाने की शुरुआत हुई।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।