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    Magh Purnima 2025 Date: इतनी खास क्यों है माघ पूर्णिमा? एक क्लिक में पढ़ें इस पर्व का महत्व

    हर साल माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2025) का पर्व बेहद के साथ मनाया जाता है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि इस तिथि पर पूजा करने से रुके हुए काम पूरे होते हैं। साथ ही श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं माघ पूर्णिमा से जुड़ी जानकारी के बारे में।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 12 Feb 2025 04:01 PM (IST)
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    Magh Purnima 2025: माघ पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। माघ पूर्णिमा के पर्व को वसंत ऋतू के आगमन के दौरान मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान और उपासना करने से पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन खुशहाल होता है। क्या आप जानते हैं कि माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2025) के त्योहार को क्यों मनाया जाता है? अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए जानते हैं इसकी वजह के बारे में।

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    माघ पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त (Magh Purnima 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा की तिथि का प्रारंभ 11 फरवरी को शाम 06 बजकर 55 मिनट पर हुआ है और 12 फरवरी को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है। ऐसे में आज यानी 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा मनाई जा रही है।

    ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 05 बजकर 19 मिनट से 06 बजकर 10 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 07 मिनट से शाम 06 बजकर 32 मिनट तक

    अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं

    अमृत काल - शाम 05 बजकर 55 मिनट से रात 07 बजकर 35 मिनट तक

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    माघ पूर्णिमा कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब जगत के पालनहार विष्णु क्षीर सागर में विश्राम कर रहे थे, तो उस समय नारद जी का आगमन हुआ। नारद जी को देख भगवान विष्णु ने कहा कि हे महर्षि आपके आने की क्या वजह है? तब नारद जी ने बताया कि मुझे ऐसा कोई उपाय बताएं, जिसे करने से लोगों का कल्याण हो सके। विष्णु जी ने कहा कि जो जातक संसार के सुखों को भोगना चाहता है और मृत्यु के बाद परलोक जाना चाहता है। तो उसे पूर्णिमा तिथि पर सच्चे मन से सत्यनारायण पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद नारद जी ने भगवान श्रीहरि विष्णु ने व्रत विधि के बारे में विस्तार से बताया।

    विष्णु जी ने कहा कि इस व्रत में दिन भर उपवास रखना चाहिए और शाम को भगवान सत्य नारायण की कथा का पाठ करना चाहिए और प्रभु को भोग अर्पित करें। ऐसा करने से सत्यनारायण देव प्रसन्न होते हैं।

    माघ पूर्णिमा का महत्व

    सनातन धर्म में माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इसे माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस पूर्णिमा तिथि पर माघ मास का कल्पवास समाप्त होता है। साथ ही पवित्र नदी में स्नान-दान करने से पापों से छुटकारा मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।