Magh Purnima 2025 Date: फरवरी महीने में कब है माघ पूर्णिमा? नोट करें सही डेट और पूजा विधि
धार्मिक मत है कि माघ पूर्णिमा (Magh Purnima 2025 Date) के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं। साथ ही शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा करने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। उनकी कृपा से साधक को हर काम में सफलता मिलती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर जग के नाथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से घर की गरीबी एवं दरिद्रता दूर हो जाती है।
ज्योतिष भी आर्थिक तंगी दूर करने के लिए पूर्णिमा तिथि पर श्रीसत्यनारायण पूजा करने की सलाह देते हैं। अतः साधक पूर्णिमा के दिन स्नान-ध्यान के बाद विधिपूर्वक लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। आइए, माघ पूर्णिमा के बारे में सबकुछ जानते हैं-
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माघ पूर्णिमा शुभ मुहूर्त (Magh Purnima Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा है। माघ पूर्णिमा की शुरुआत 11 फरवरी को शाम 06 बजकर 55 मिनट पर होगी और 12 फरवरी को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय होने के बाद तिथि की गणना की जाती है। इस प्रकार 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रोदय संध्याकाल 05 बजकर 59 मिनट पर होगा।
माघ पूर्णिमा शुभ योग (Magh Purnima Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो माघ पूर्णिमा पर एक साथ कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी। इस शुभ अवसर पर सबसे पहले सौभाग्य योग का संयोग है। इसके बाद शोभन योग का निर्माण हो रहा है।
पूजा विधि
माघ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म बेला में उठें। अब लक्ष्मी नारायण जी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध करें। सभी कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। सुविधा होने पर गंगा नदी में स्नान-ध्यान कर सकते हैं। इसके बाद आचमन कर अपने आप को शुद्ध करें। अब पीले कपड़े पहनकर सबसे पहले सूर्य देव को जल दें। इसके बाद पंचोपचार कर विधिपूर्वक लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। इस समय सत्यनारायण जी की व्रत कथा का पाठ करें। भगवान विष्णु को फल, फूल, धूप, दीप आदि चीजें अर्पित करें। पूजा का समापन आरती से करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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