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    Kumbh Sankranti 2025 Date: कब मनाई जाएगी कुंभ संक्रांति? एक क्लिक में जानें सबकुछ

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 21 Jan 2025 06:46 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti 2025 Date) तिथि पर सौभाग्य योग बन रहा है। इसके साथ ही शोभन योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में स्नान-ध्यान करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही सभी पाप धुल जाएंगे। माघ पूर्णिमा पर बड़ी संख्या में साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं।

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    Kumbh Sankranti 2025 Date: कुंभ संक्रांति का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आत्मा के कारक सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य देव के राशि परिवर्तन से सभी राशियों पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि, मेष और सिंह राशि के जातकों को अधिक फल मिलता है। इसके अलावा, अन्य राशियों को भाव और ग्रहों की स्थिति के अनुसार फल मिलता है। संक्रांति तिथि पर स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप और दान-पुण्य करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। आइए, कुंभ संक्रांति की सही डेट (Kumbh Sankranti 2025) एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2025)

    ज्योतिषीय गणना के अनुसार, आत्मा के कारक सूर्य देव 12 फरवरी की रात 09 बजकर 56 मिनट पर कुंभ राशि में गोचर करेंगे। वर्तमान समय में सूर्य देव मकर राशि में विराजमान हैं। मकर राशि में गोचर करने की तिथि पर सूर्य देव उत्तरायण होते हैं। सूर्य देव 12 फरवरी को मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे। इसके बाद सूर्य देव 14 मार्च को मीन राशि में गोचर करेंगे। इससे पूर्व सूर्य देव 19 फरवरी को शतभिषा और 04 मार्च को पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे।

    कुंभ संक्रांति शुभ मुहूर्त (Kumbh Sankranti Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ पूर्णिमा के दिन सूर्य देव कुंभ राशि में गोचर करेंगे। आसान शब्दों में कहें तो 12 फरवरी को कुंभ संक्रांति मनाई जाएगी। कुंभ संक्रांति तिथि का पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 09 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल शाम 04 बजकर 18 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 09 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर गंगा स्नान कर सकते हैं।

    कुंभ संक्रांति शुभ योग (Kumbh Sankranti Shubh Yog)

    कुंभ संक्रांति पर सौभाग्य और शोभन योग का निर्माण हो रहा है। वहीं, अश्लेषा और मघा नक्षत्र का संयोग है। इसके साथ ही शिववास योग का भी संयोग। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से मनचाहा वर प्राप्त होगा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।