Dussehra 2025: किस दिन मनाया जाएगा दशहरा? एक क्लिक में नोट करें मुहूर्त और योग
शारदीय नवरात्र का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इस दौरान जगत की देवी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही नवरात्र का व्रत रखा जाता है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के अगले दिन दशहरा (Dussehra 2025 date) मनाया जाता है।

दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख और मंगलकारी त्योहार है, जिसे हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। नवरात्र के नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना और साधना के बाद यह पर्व बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ आता है।
पूरे देश में इस दिन मंदिरों, घरों और समाज में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। कहीं भव्य मेले लगते हैं, तो कहीं धार्मिक अनुष्ठान और रावण दहन का आयोजन होता है। यह दिन केवल उत्सव का अवसर ही नहीं, बल्कि यह जीवन में सत्य और धर्म को अपनाने तथा सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का संदेश भी देता है।
दशहरा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Dussehra 2025 date)
वर्ष 2025 में दशहरा 2 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार दशमी तिथि 1 अक्टूबर की रात 07:01 बजे से आरंभ होकर 2 अक्टूबर की रात 07:10 बजे तक रहेगी। नवरात्रि के नौ दिनों के बाद आने वाला यह पर्व पूरे वर्ष के सबसे बड़े और उल्लासपूर्ण उत्सवों में गिना जाता है।
इस साल दशहरे पर दोपहर 1:21 बजे से 3:44 बजे तक का समय अत्यंत शुभ माना गया है। इसी अवधि में पूजा-अर्चना, रावण दहन और अन्य धार्मिक कार्य करने से विशेष पुण्य और सफलता की प्राप्ति होती है।
योग और नक्षत्र का संयोग
इस वर्ष दशहरा वाले दिन पूरा दिन रवि योग रहेगा, जिससे जीवन में सकारात्मकता और सफलता का मार्ग खुलता है। इसके साथ ही रात्रि 12:35 बजे से 11:29 बजे तक (2 अक्टूबर) सुकर्म योग रहेगा और इसके बाद धृति योग लग जाएगा।
ये तीनों योग हर शुभ कार्य और पूजा के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। नक्षत्रों के अनुसार सुबह 09:13 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र रहेगा और इसके बाद पूरी रात तक श्रवण नक्षत्र का प्रभाव रहेगा। ऐसे संयोग में पूजा करना और नए कार्यों की शुरुआत करना अत्यंत मंगलकारी होता है।
रवि योग
रवि योग अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। इस समय सूर्यदेव की ऊर्जा से जीवन में सकारात्मकता आती है और किए गए कार्य कभी असफल नहीं होते। यह योग आत्मबल, आत्मविश्वास और सफलता दिलाने वाला है।
सुकर्म योग
सुकर्म योग अच्छे कर्मों का योग है। इस समय किए गए प्रयास शुभ और कल्याणकारी होते हैं। पूजा, अनुष्ठान, शिक्षा या व्यापार संबंधी कार्य विशेष रूप से सफलता दिलाते हैं। यह योग जीवन में स्थिरता और प्रगति लाता है।
धृति योग
धृति योग धैर्य और स्थिरता का प्रतीक है। इस समय लिए गए निर्णय सही दिशा देते हैं और कार्य लंबे समय तक टिकाऊ होते हैं। पारिवारिक कार्य और नई योजनाओं की शुरुआत के लिए यह योग श्रेष्ठ है।
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र
उत्तराषाढ़ा नक्षत्र दृढ़ संकल्प और विजय का प्रतीक है। इसमें आरंभ किए गए कार्य धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से सफलता देते हैं।
श्रवण नक्षत्र
श्रवण नक्षत्र ज्ञान, भक्ति और संस्कारों से जुड़ा है। इसमें पूजा, शिक्षा और व्रत करना अत्यंत शुभ होता है और इसे भगवान विष्णु का प्रिय नक्षत्र माना जाता है।
क्यों मनाया जाता है दशहरा?
दशहरा का पर्व (vijayadashami 2025 date) अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। यह दिन हमें दो महान घटनाओं की याद दिलाता है। पहली कथा के अनुसार, भगवान श्रीराम ने नवरात्रि में शक्ति की आराधना कर दशमी के दिन रावण का वध किया और धर्म की स्थापना की। दूसरी मान्यता में, मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से युद्ध कर इसी दिन उसका संहार किया।
इसलिए दशहरा शक्ति, साहस और धर्म की जीत का पर्व है। इस दिन रावण दहन का आयोजन कर लोग बुराई का अंत और सत्य की विजय का संदेश देते हैं। दशहरा हमें सिखाता है कि जीवन में चाहे अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, अंततः सत्य और सद्गुणों की ही विजय होती है।
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लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
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