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    Bhai Dooj 2025 Date: भाई दूज कब है? जानें तिलक विधि और महत्व

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 03:07 PM (IST)

    भाई दूज दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का अंतिम पर्व है जो भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन (Bhai Dooj 2025) बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर आरती उतारती हैं और मिठाई खिलाती हैं। इस पर्व का महत्व यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ा है तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं जो इस प्रकार हैें।

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    Bhai Dooj 2025 Date:भाई दूज का शुभ मुहूर्त।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव का समापन भाई दूज के पर्व के साथ होता है। यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। रक्षाबंधन की तरह ही, यह दिन भी भाई और बहन के रिश्ते को और मजबूत करता है। इस साल भाई दूज का पर्व (Bhai Dooj 2025 Date) कब मनाया जाएगा और इसकी तिलकी विधि क्या है? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।

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    भाई दूज का शुभ मुहूर्त (Bhai Dooj 2025 Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, द्वितीया तिथि की शुरुआत 22 अक्टूबर 2025, को रात 08 बजकर 16 मिनट पर होगी। वहीं, द्वितीया तिथि की समाप्ति 23 अक्टूबर 2025, को रात 10 बजकर 46 मिनट पर होगा। ऐसे में 23 अक्टूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।

    तिलक विधि (Bhai Dooj 2025 Tilak Vidhi)

    • सबसे पहले पूजा की थाली तैयार करें।
    • थाली में एक दीपक, रोली, अक्षत, हल्दी, मिठाई, सुपारी, सूखा नारियल और मौली धागा आदि चीजें रखें।
    • अपने भाई का मुख उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर करवाएं।
    • बहनें अपने भाई के माथे पर रोली और अक्षत से तिलक लगाएं।
    • तिलक लगाने के बाद, बहनें भाई की आरती उतारें और उन्हें मिठाई खिलाएं।
    • इसके बाद, भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और उनकी सदैव रक्षा करने का वादा करते हैं।

    भाई दूज का महत्व (Bhai Dooj 2025 Katha)

    भाई दूज का पर्व यमराज और उनकी बहन देवी यमुना से जुड़ा है। कथा के अनुसार, कार्तिक माह की द्वितीया तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए गए। यमुना ने उनका तिलक कर आरती उतारी और उन्हें भोजन कराया। यमुना के प्रेम से खुश होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। इसी वजह से इस पर्व को 'यम द्वितीया' के नाम से भी जाना जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।