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    गुरु की चाल बदलते ही मई में लगेगा पुष्कर कुंभ, जानिए 12 साल बाद कब और कहां लगेगा

    Updated: Fri, 25 Apr 2025 07:00 AM (IST)

    Pushkar Kumbh 2025 इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 12 साल बाद महाकुंभ का मेला लगा था। इस मेले में एक अनुमान के मुताबिक करीब 66 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई थी। अब एक और कुंभ का मेला मई में लगने जा रहा है जो 12 साल बाद लगेगा।

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    बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करने पर लगेगा पुष्कर कुंभ मेला।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pushkar Kumbh 2025: प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 को लगे महाकुंभ के बाद अब एक और कुंभ का मेला लगने जा रहा है। इस मेले का नाम है पुष्कर महाकुंभ और इसके लिए भी जिम्मेदार हैं देव गुरु ब्रहस्पति, जो एक बार फिर अपनी चाल बदलने जा रहे हैं।

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    अब जबकि मई में बृहस्पति ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं, तो बद्रीनाथ धाम के पास पुष्कर कुंभ का मेला लगने जा रहा है। बताते चलें कि बृहस्पति जब वृषभ राशि में आते हैं और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो प्रयागराज में संगम तट पर कुंभ का मेला लगता है।

    यह दुर्लभ घटना 12 साल बाद होती है। प्रयागराज के कुंभ मेले में करीब 66 करोड़ से अधिक लोगों ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई थी। अध्यात्म और आयोजन की दृष्टि से यह अभूतपूर्व घटना थी। 

    हर 12 साल में लगता है मेला 

    यह पुष्कर कुंभ की घटना भी अपने आप में अनोखी है क्योंकि यह भी 12 साल बाद होती है। बताते चलें कि देव गुरु 14 मई 2025 की रात 11:20 पर मिथुन राशि में आएंगे। इसके अगले दिन से यानी 15 मई से पुष्कर कुंभ का मेला शुरू हो जाएगा, जो अगले 10 दिनों के लिए यानी 25 मई तक चलेगा। 

    पुष्कर कुंभ के लिए बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। बद्रीनाथ धाम के पास माणा गांव में सरस्वती नदी के तट पर लगने वाले कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन सुविधाएं मुहैया कराने पर लगा है। सड़कों को ठीक किया जा रहा है। वहीं ऑनलाइन बुकिंग भी हो रही है।

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    दक्षिण भारत से बड़ी संख्या में आते हैं भक्त

    कहते हैं कहते हैं वेदव्यास ने केशव प्रयाग में तपस्या के दौरान महाभारत लिखी थी। वहीं, शंकराचार्य रामानुजाचार्य और माधवाचार्य जैसे दक्षिण भारत के प्रमुख आचार्यों ने सरस्वती नदी के तट पर माता सरस्वती से ज्ञान पाया था।

    उनकी पंरपरा को बनाए रखने के लिए साउथ इंडिया के महापुरुष पुष्कर कुंभ के समय बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। इसके साथ ही देश के अन्य हिस्सों से भी साधु-संत और श्रद्धालु भी यहां पहुंचते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।