Kalashtami 2025: जून महीने में कब है कालाष्टमी? अभी नोट कर लें शुभ मुहूर्त एवं महत्व
कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर न केवल काल भैरव देव की बल्कि जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की भी पूजा (Kaal Bhairav Puja Vidhi) की जाती है। जग के नाथ भगवान मधुसूदन की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कालाष्टमी पर्व का खास महत्व है। यह दिन पूर्णतया काल भैरव देव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही विशेष कामों में सफलता पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
धार्मिक मत है कि कालाष्टमी के दिन काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए, जून माह की कालाष्टमी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-
यह भी पढ़ें: पूजा में रखें इन वास्तु नियमों का ध्यान, देवी-देवताओं की कृपा से बनी रहेगी खुशहाली
कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 18 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 34 मिनट से आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। वहीं, 19 जून को दोपहर 11 बजकर 55 मिनट पर आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि समाप्त होगी। काल भैरव देव की निशा काल में पूजा की जाती है। इसके लिए 18 जून को वैशाख माह की कालाष्टमी मनाई जाएगी। वहीं, निशा काल में पूजा का समय देर रात 11 बजकर 59 मिनट से लेकर 12 बजकर 39 मिनट तक है।
रवि योग
ज्योतिषियों की मानें तो आषाढ़ माह की कालाष्टमी पर रवि योग का संयोग बन रहा है। रवि योग शाम 09 बजकर 36 मिनट तक है। साथ ही शिववास योग शाम 07 बजकर 59 मिनट तक है। इस दौरान देवों के देव महादेव नंदी की सवारी करेंगे। शिववास योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलता है। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाएंगे। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त का संयोग भी बन रहा है।
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 50 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 06 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 22 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 49 मिनट से 07 बजकर 11 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक
पूजा विधि
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर सुबह उठें। अब घर की साफ-सफाई करें। सभी कामों से निवृत्त होने के बाद स्नान-ध्यान करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद घर पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें। पूजा के समय देवों के देव महादेव को सफेद रंग के फल, फूल और मिष्ठान अर्पित करें। पूजा समापन के बाद मंदिर जाकर काल भैरव देव के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। वहीं, संध्याकाल में भगवान शिव की आरती करें।
यह भी पढ़ें: नियमित पूजा-पाठ के बाद भी नहीं मिल रहा फल, तो आपकी ये गलतियां हो सकती हैं कारण
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।