Masik Kalashtami 2025: कालाष्टमी पर जरूर करें ये पाठ, दूर होंगी सभी चिंताएं
मासिक कालाष्टमी (Masik Kalashtami 2025) का दिन तंत्र-मंत्र साधना करने वालों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन पर भगवान शिव के उग्र रूप यानी काल भैरव देव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि काल भैरव की पूजा से जीवन की कई परेशानियां दूर हो सकती हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मासिक कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा-अर्चना का विधान है। माना जाता है कि जो साधक विधिवत रूप से कालाष्टमी का व्रत और काल भैरव की पूजा-अर्चना करता है, उसे विशेष कार्यों की सिद्धि प्राप्त हो सकती है। ऐसे में आप इस दिन की पूजा में भैरव अष्टकम् का पाठ कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
मासिक कालाष्टमी मुहूर्त (Masik Kalashtami Muhurat)
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 20 मई को प्रातः 5 बजकर 51 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 21 मई को प्रातः 4 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में ज्येष्ठ माह की कालाष्टमी का व्रत मंगलवार 20 मई को किया जाएगा।
काल भैरव अष्टकम् (Kaal Bhairav Ashtak)
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
यदि आप कालाष्ठमी के दिन भैरव अष्टकम् के पाठ करते हैं, तो इससे आपको भैरव देव की विशेष कृपा की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही जीवन की बुराइयों का भी नाश होता है। इसके साथ ही भैरव देव के आशीर्वाद से आपको अपनी स्वास्थ्य में भी लाभ देखने को मिल सकता है।
शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
यदि आप दुश्मनों से परेशान हैं, तो मासिक कालाष्टमी के अवसर पर इस अष्टकम का पाठ जरूर करें। आप चाहें तो नियमित रूप से भी काल भैरव अष्टकम का पाठ कर सकते हैं, जिससे जीवन में आ रही परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है।
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥
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काल भैरव देव के मंत्र
काल भैरव देव की पूजा में उनके मंत्रों का जप भी जरूर करें, ताकि आपको पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो।
1. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।
2. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।
3. ॐ ह्रीं बटुक! शापम विमोचय विमोचय ह्रीं कलीं।
4. र्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम् ।
द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये ।।
5. ॐ नमो भैरवाय स्वाहा।
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