Jitiya Vrat 2025: जितिया व्रत की पूजा के बाद जरूर करें ये आरती, शुभ फलों की होगी प्राप्ति
जितिया व्रत (Jitiya Vrat 2025) बहुत शुभ माना जाता है। यह तीन दिनों तक चलता है और इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत के दूसरे दिन शाम को पूजा और व्रत कथा के बाद आरती का विशेष महत्व है क्योंकि आरती के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जितिया व्रत का हिंदुओं के बीच बहुत ज्यादा महत्व है। इस व्रत का पालन महिलाएं अपनी संतान की सुरक्षा के लिए करती हैं। यह व्रत (Jitiya Vrat 2025) निर्जला रखा जाता है और यह तीन दिनों तक चलता है। व्रत के दूसरे दिन, जब माताएं निर्जला उपवास पर होती हैं, शाम के समय पूजा-पाठ और व्रत कथा के बाद आरती करना बहुत शुभ माना जाता है।
आरती के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में पूजा पूर्ण होने के बाद भाव के साथ आरती करें, जो इस प्रकार हैं।
।।जितिया व्रत आरती।। (Jitiya Vrat Aarti In Hindi)
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ओम जय कश्यप...
सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ओम जय कश्यप....
सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ओम जय कश्यप...
सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ओम जय कश्यप...
कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ओम जय कश्यप...
नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ओम जय कश्यप...
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ ओम जय कश्यप...
ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
।।जीवित्पुत्रिका चालीसा।।
।।दोहा।।
जय जय जीमूतवाहन, जय जय जीवित्पुत्रिका।
मात-पिता की रक्षा करो, हर लो दुःख दरिद्रता।।
।।चौपाई।।
अश्विन मास कृष्ण पक्ष अष्टमी, नाम तुम्हारा जीवित्पुत्रिका।
सुख-शांति तुम दो माता, तुम बिन नहीं कोई सहारा।।
पुत्र की रक्षा करो माता, तुम तो हो जग पालनहारा।
पूत-सुपूत बनाओ माता, सुख-शांति तुम देना।।
कथा सुनी जब जीमूतवाहन की, दुख की घड़ी में तुम याद आई।
तुमने पुत्र को दिया जीवन, तुम्हारी कृपा सदा बनी रहे।।
जय जय माता तुम सबकी, हर लो हर संकट तुम हमारी।
बाल-बाल को रखो सुरक्षित, तुम्हारी महिमा सबसे न्यारी।।
जो जन चालीसा ये पढ़े, हर इच्छा उसकी पूरी हो।
मात-पिता को सुख-शांति मिले, और घर में धन-संपदा हो।।
पुत्र की रक्षा तुम ही करती, तुम तो जग की पालनहारी।
तुम्हारी दया से सब कुछ मिले, तुम सबकी हो पालनहारी।।
।।दोहा।।
जीवित्पुत्रिका माता, कृपा करो सब पर।
संतान को सुखी रखो, और दूर करो हर संकट।।
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