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    Mata Sita: किसने दी थी माता सीता को वह दिव्य साड़ी, जिसे पहनकर बिताया पूरा वनवास?

    पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जानकी जयंती मनाई जाती है। ऐसे में आज यानी शुक्रवार 21 फरवरी को जानकी जयंती मनाई जा रही है। आज हम आपको माता सीता की उस दिव्य साड़ी (Mata Sita saree) के विषय में बताने जा रहे हैं जिसे उन्होंने पूरे वनवास यानी 14 वर्षों तक पहने रखा था।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 21 Feb 2025 12:52 PM (IST)
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    Mata Sita saree माता सीता ने पूरे वनवास में क्यों पहनी एक ही साड़ी?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जानकी जयंती (Janaki Jayanti 2025) वह दिन है, जब राजा जनक ने सीता जी को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया था। कथा के अनुसार, एक बार मिथिला के राजा जनक ने अपने क्षेत्र में वर्षों कराने हेतु सोने का हल बनाकर स्वयं जमीन पर चलाया।

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    इस दौरान उन्हें एक कलश में एक सुंदर कन्या मिली। राजा के कोई संतान नहीं थी, इसलिए उन्होंने उस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार कर बड़े ही लाड-प्यार से उनका पालन-पोषण किया। जानकी जयंती के इस खास मौके पर हम आपको वनवास के दौरान पहनी गई माता सीता की उस साड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आम नहीं बल्कि बहुत ही खास थी। 

    दिव्य साड़ी की प्राप्ति

    पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास जा रहे थे, तब वह कुछ देर के लिए ऋषि अत्रि के आश्रम में ठहरे। ऋषि अत्रि की पत्नी अनुसुइया थी, जिनकी गिनती पांच पतिव्रता नारियों द्रौपदी, सुलक्षणा, सावित्री और मंदोदरी में होती है। माता अनुसूया ने उनका बहुत ही अच्छे से आदर-सत्कार किया और माता सीता को पतिव्रता धर्म की शिक्षा भी दी। इस दौरान उन्होंने माता सीता को एक पीले रंग की दिव्य साड़ी उपहार के रूप में दी।

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    क्या थी साड़ी की खासियत

    माता सीता को अपनी दिव्य साड़ी उपहार के रूप में देते समय अनुसुइया जी ने उन्हें बताया कि उन्हें यह दिव्य साड़ी अग्नि देव द्वारा उनके तपोबल से प्रसन्न होकर दी गई है। इस कारण से इस साड़ी में अग्नि देव का तेज विद्यामान था।

    माता सीता को उपहार में मिली साड़ी की खासियत यह थी कि यह न तो कभी मैली नहीं होती थी और न ही उसमें कोई दाग लगता था। यहां तक वह कभी कटती-फटती भी नहीं थी, जिस कारण वह हमेशा नई साड़ी की तरह ही प्रतीत होती थी। यही कारण है कि माता सीता ने पूरे वनवास के दौरान उसी साड़ी को पहनकर रखा था।

    Picture Courtesy: Instagram

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।