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    Ramayana: विवाह से पहले कहां और कैसे हुई प्रभु राम और माता सीता की मुलाकात?

    Updated: Tue, 18 Feb 2025 02:13 PM (IST)

    सनातन धर्म में रामायण (Ramayana) एक धार्मिक ग्रंथ है। कई लोग रोजाना इस ग्रंथ का विधिपूर्वक पाठ करते हैं जिससे उन्हें भगवान श्री राम और माता सीता (How Ram Sita Met) की कृपा प्राप्त होती है। रामायण के पाठ से मूल्यों नैतिकता और संस्कृति के बारे में सीख मिलती है। ऐसे में आइए जानते हैं रामायण के एक प्रमुख प्रसंग के बारे में।

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    Ramayana: प्रभु राम और माता सीता की मुलाकात का प्रसंग (Pic Credit-AI )

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ramayana Story: धार्मिक ग्रंथ रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी। रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में विस्तार से बताया गया है। वहीं, राजा जनक की पुत्री माता सीता की पवित्रता को दर्शाया गया है। इसके अलावा लक्ष्मण और भरत के बीच प्यार को दिखाया गया है।

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    (Pic Credit-AI )

    वनवास के दौरान माता सीता ने कई प्रकार के दुखों का सामना किया है, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने वनवास के समय भगवान श्री राम का साथ कभी नहीं छोड़ा। इसी वजह से माता सीता को पतिव्रता नारी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विवाह से पहले भगवान श्री राम और माता सीता (How Ram and Sita Met) की मुलाकात कब, कैसे और कहां हुई? अगर नहीं पता, तो आइए हम आपको बताएंगे रामायण के इस प्रमुख प्रसंग के बारे में।

    (Pic Credit-AI )

    इस तरह हुई मुलाकात

    मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री राम और माता सीता का विवाह हुआ था। इसी वजह से इस तिथि को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है। रामचरित मानस को तुलसीदास ने लिखा था। रामचरित मानस के अनुसार, विवाह से पहले भगवान श्री राम और माता सीता की मुलाकात जनकपुर के पुष्प वाटिका में हुई थी। एक बार राम जी गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से पूजा के लिए फूल लाने के लिए वाटिका गए थे। उस समय माता सीता वाटिका में थीं। वाटिका में प्रभु राम के पहुंचने पर उन्हें माता सीता ने देखा, तो दोनों एक दूसरे के प्रति मोहित हो गए।

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    उसी समय में माता सीता ने प्रभु राम को पति रूप में स्वीकार कर लिया, लेकिन माता सीता एक बात को लेकर चिंतित थीं कि उनके पिता जनक के द्वारा रखी गई शर्त को अगर किसी और ने पूरा कर दिया, तो उन्हें राम जी पति के रूप में कैसे मिलेंगे? इस चिंता को दूर करने के लिए माता सीता मां पार्वती के पास पहुंचीं। इसी प्रकार त्रेतायुग में भगवान श्री राम और माता सीता की मुलाकात वाटिका में हुई थी।

    (Pic Credit-AI )

    राजा जनक ने रखी थी ये शर्त

    रामायण के अनुसार, राजा जनक ने माता सीता के लिए वर का चयन करने के लिए एक शर्त रखी थी। उन्होंने कहा था कि जो महान व्यक्ति शिव धनुष को उठाकर तोड़ देगा। उसी के साथ माता सीता का विवाह कर दिया जाएगा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।