Jagannath Rath Yatra 2025: हर साल क्यों निकाली जाती है जगन्नाथ रथ यात्रा, कैसे शुरू हुई परंपरा
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) के दौरान भगवान जगन्नाथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। रथ यात्रा के लिए भगवान जगन्नाथ बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए अलग-अलग रथों का निर्माण किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़ी विशेष बातें।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल आषाढ़ माह में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) का उत्सव बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस उत्सव में शामिल होने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। इस दौरान ओडिशा के पुरी नगरी में अधिक रौनक देखने को मिलती है।
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वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल इस यात्रा की शुरुआत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होती है और अगले दिन 9 दिनों तक उत्सव को मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई। अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए आपको बताएंगे इसकी खास वजह के बारे में।
कब से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025 Start Date)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 26 जून को दोपहर 01 बजकर 25 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 27 जून को सुबह 11 बजकर 19 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस प्रकार जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 27 जून (Jagannath Rath Yatra 2025 Kab Se Shuru Hogi) से होगी।
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इस तरह शुरू हुई जगन्नाथ रथ यात्रा की परंपरा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जगन्नाथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और देवी सुभद्रा रथ पर विराजमान होते हैं और नगर का भ्रमण करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से साधक के सभी दुख दूर होते हैं। साथ ही मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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पद्म पुराण के अनुसार, एक बार सुभद्रा ने भगवान जगन्नाथ से शहर को देखने को इच्छा जाहिर की। इसके बाद आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भगवान जगन्नाथ ने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को रथ पर विराजमान किया। इसके बाद उन्होंने नगर भ्रमण किया और अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर पहुंचे। जहां वह सात दिन तक वास किया। इसके बाद वह वापस आए। तभी से इस खास परंपरा हर साल निभाया जाता है।
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