Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्‍नाथ रथ यात्रा की तैयारियां तेज, बन कर तैयार हुए 18 पहिए

    Updated: Sun, 18 May 2025 03:56 PM (IST)

    पुरी जगन्नाथ धाम में 27 जून को होने वाली रथयात्रा के लिए तीन रथों का निर्माण तेजी से चल रहा है। रथखला में भोई सेवक रथ निर्माण में लगे हैं। अब तक 18 पहियों का निर्माण पूरा हो चुका है साथ ही अन्य हिस्सों का भी निर्माण जारी है। रथ के पहियों और संरचना को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

    Hero Image
    विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए रथ पहिया का निर्माण करते सेवक। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। पुरी जगन्नाथ धाम में हर वर्ष निकाले जाने वाली विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा इस वर्ष 27 जून को है। ऐसे में इस विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए तीन रथों का निर्माण युद्ध स्तर पर चल रहा है।

    रथखला में भोई सेवक रथों का निर्माण कार्य में लगे हुए हैं। जानकारी के मुताबिक रथ निर्माण के 17वें दिन तक कुल 18 पहियों का निर्माण पूरा हो चुका है। इसके साथ ही, तीन रथों के 11 साल गुज, 24 तीख गुज, 32 कुडूका, 12 ओरा और चार प्रथम ग्राउंड पिलर का निर्माण पूरा हो चुका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भोई सेवक तीन रथों में से एक-एक तुम्ब अर संयोग कर सिंगड़ावाड़िया कार्य खत्म कर दिया है। आज तीन रथ के महारणा सेवक तुम्ब सिंगड़ा के ऊपर पई रखकर मापतोल किया है।

    पई कनेक्शन से पहले अर मुख साल कार्य के साथ तुम्ब में अख विंध या अगर विंध कार्य तुम्ब बिंध सेवकों द्वारा सम्पन्न किया गया। रूपकार सेवक तीनों रथों के 11 सलगुजों में नृसिंह रूप उकेरने का कार्य जारी रखे हैं।

    दोलवेदी अस्थायी कमारशाला में ओझा कमार सेवक तीन रथों के शेष पहियों को बनाने के लिए आवश्यक पंदारी, तुम्बबला, अर कंटा, पंदारी चाबी का निर्माण जारी रखे हैं।

    पूरे रथ का भार अख के माध्यम से सभी पहियों के खंभों पर पड़ता है। पहिए का भार वहनकारी विंदु में तब्दील होता है। तुम्ब में अख प्रवेश के लिए बनने वाले बिंद के भीतर के व्यास की तुलना में बाहर का व्यास सामान्य छोटा होता है।

    तदनुसार, अख की चूड़ी आगे की तुलना में थोड़ी मोटी होती हैं और पंदारी भी उसी के अनुसार थोड़ी बड़ी और छोटी होती है।यह प्रणाली रथ के भार को संतुलित करती है और रथ के मुड़ने पर भी मदद करती है।

    देवी प्रसन्न नंद द्वारा लिखित पुस्तक श्रीमंदिर में शिल्पसेवा के आलेख के अनुसार, रथ के निचले हिस्से अर्थात पहिया से गयल के बीच बड़ी लकड़ी का उपयोग किया जाता है। ऐसा करने से रथ की नींव मजबूत और स्थिर रहती है। शीर्ष पर अपेक्षाकृत कम मात्रा में हल्की लकड़ी का उपयोग किया जाता है।