Jagannath Rath Yatra 2025: पुरी और अहमदाबाद की रथ यात्रा में क्या अंतर होता है, पढ़िए खास बातें
Ahmedabad and Puri Rath Yatra Difference जगन्नाथ रथ यात्रा 2025 आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को 27 जून को होगी। ओडिशा के पुरी और गुजरात के अहमदाबाद में यह भव्य आयोजन होता है लेकिन दोनों में कुछ अंतर हैं। पुरी में भगवान जगन्नाथ का मुख्य मंदिर है और रथ यात्रा का पौराणिक महत्व है जबकि अहमदाबाद में यह बाद में शुरू हुई।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ahmedabad and Puri Rath Yatra Difference: ओडिशा के पुरी में हर साल भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) निकाली जाती है। इसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। यह रथ यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है, जो इस साल 27 जून 2025 को होगी।
इसी तरह का कुछ आयोजन गुजरात के अहमदाबाद में भी देखने को मिलेगा। मगर, दोनों ही जगहों की यात्रा में बहुत अंतर होता है। इसके बावजूद कार्यक्रम में भक्तों का जोश देखते ही बनता है। लाखों की संख्या में पहुंचे भक्त रथ को खींचने के लिए आतुर दिखते हैं।
कहते हैं कि इस रथ यात्रा में शामिल होने का पुण्य ही बहुत कम लोगों को मिलता है। उस पर भी जिसे रख खींचने का मौका मिल जाए, वो तो विरले भी बड़भागी होते हैं। इस मौके पर जानते हैं कि दोनों जगहों की इस रथ यात्रा में क्या बुनियादी अंतर हैं।
ये हैं दोनों जगहों की यात्राओं में अंतर
पुरी में ही भगवान जगन्नाथ का मुख्य और प्राचीन मंदिर (Jagannath temple Puri) है। रथ यात्रा की शुरुआत पुरी से ही हुई थी और इसका पौराणिक महत्व भी है।
हालंकि, अहमदाबाद में ऐसा नहीं है। वहां बाद में यह कार्यक्रम शुरु किया गया था और अब तक 147 रथ यात्राएं निकाली जा चुकी हैं।
दोनों ही जगह यह रथ यात्रा महोत्सव करीब 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान देश-विदेश से लाखों की संख्या में भक्त दोनों जगहों पर पहुंचते हैं।
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अहमदाबाद में यात्रा का मार्ग करीब 18 किलोमीटर लंबा है। यहां यात्रा सुबह 7 बजे से शुरू होती है और रणछोरदास मंदिर जाकर एक ही दिन में पूरी कर ली जाती है।
वहीं, पुरी में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलदेव और सुभद्रा के साथ करीब 3 किमी दूर स्थित गुंडिचा मंदिर पहुंचते हैं। वहां 8 दिन आराम करने के बाद वहा नौंवे दिन दशमी तिथि को वापस लौटते हैं।
पुरी में जो रथ निकाले जाते हैं, उन्हें दारुक पेड़ की लकड़ी से बनाने का कार्यक्रम करीब दो महीने पहले से शुरू हो जाता है। वो बड़े ही विशालकाय और भव्य रथ बनाए जाते हैं।
अहमदाबाद में हर साल रथ नहीं बनाए जाते हैं और वो पुरी के रथों की तलुना में बहुत भव्य भी नहीं होते हैं।
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