Mahabharat story: महाभारत ग्रंथ की महत्वपूर्ण घटनाएं, जिन्होंने युद्ध में निभाई भूमिका
जहां रामायण ग्रंथ से यह शिक्षा मिलती है कि व्यक्ति को जीवन में किन चीजों को अपनाना चाहिए। वहीं महाभारत ग्रंथ से शिक्षा मिलती है कि आपको जीवन में किन गलतियों को नहीं करना चाहिए। आज हम आपको इस ग्रंथ से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं बताने जा रहे हैं जिसने इस युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महर्षि व्यास द्वारा रचित महाभारत संस्कृत वाङ्मय का सबसे बड़ा ग्रंथ है। इस ग्रंथ में मूल रूप से कौरवों और पांडवों के बीच के संघर्ष का वर्णन मिलता है। इस ग्रंथ में ऐसी कई घटनाओं का वर्णन किया गया है, जो व्यक्ति को खास सीख देती हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में।
गंगा की शर्त
गंगा ने विवाह से पहले राजा शांतनु के सामने यह शर्त रखी थी कि उसके किसी भी कार्य पर वह कभी भी उससे कोई सवाल नहीं करेंगे। इसी शर्त के चलते गंगा ने अपने 7 नवजात पुत्रों को एक-एक करके नदी में प्रवाहित कर दिया और राजा उससे कुछ न कह सके।
लेकिन जब गंगा अपने आठवें पुत्र को नदी में बहाने जा रही थी, तब राजा से रुका न गया और उन्होंने गंगा को रोक दिया। इस पुत्र का नाम देवव्रत रखा गया, जो आगे चलकर भीष्म पितामह के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
देवव्रत इसलिए कहलाए भीष्म
राजा शांतनु, निषादराज की पुत्री सत्यवती से विवाह करना चाहते थे। लेकिन निषादराज ने शांतनु के सामने यह शर्त रख दी थी कि मेरी कन्या से उत्पन्न संतान को ही आप राज्य का अगला उत्तराधिकारी बनाएंगे। तब देवव्रत ने जीवनभर विवाह न करने की प्रतिज्ञा ली, ताकि उनके पिता का विवाह सत्यवती से हो सके।
इनकी इस भीष्म प्रतिज्ञा के कारण ही उनका नाम भीष्म पड़ी। ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर देवव्रत ने यह प्रतिज्ञा न ली होती, तो महाभारत की कथा कुछ और हो सकती थी।
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(Picture Credit: Canva) (AI Image)
ये बना युद्ध का कारण
पांडवों और कौरवों के बीच यह चौसर का खेल खेला गया था, जिसे महाभारत युद्ध की नींव के रूप में भी देखा जाता है। युधिष्ठिर ने अपनी सारी संपत्ति इस खेल पर लगा दी। इसके बाद उनसे एक-एक करके अपने सभी भाई, यहां तक कि द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया। कौरवों ने सारी हदे पार करते हुए भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया। इस घटना ने युद्ध की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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