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    भगवान शिव को कैसे मिले नाग और चंद्र देव? पढ़िए बेहद खास वजह

    सनातन धर्म में सप्ताह के सभी दिन का विशेष महत्व है। सभी दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। इस प्रकार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन महादेव (Lord Shiva) और मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही फल और मिठाई का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि महादेव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 08 Apr 2025 03:16 PM (IST)
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    शिव जी ने मस्तक पर क्यों धारण किए चंद्र देव किए?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भगवान शिव (Lord Shiva story) की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए सोमवार का दिन शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सोमवार व्रत करने से विवाह में आ रही समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही जल्द विवाह के योग बनते हैं। इसके अलावा जातक को मनचाहा वर मिलता है। इस दिन विशेष चीजों का दान भी करना चाहिए।

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    मान्यता है कि दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। भगवान शिव गले में नाग और माथे पर चंद्रमा धारण करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव को कैसे मिले नाग और चंद्र देव (moon and nag symbolism)? अगर नहीं पता, तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।  

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    महादेव ने मस्तक पर क्यों धारण किए चंद्र देव?

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान शिव के मस्तक पर चंद्र देव और गले में नाग धारण का शिवपुराण में वर्णन है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब राक्षस और देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ था। तो इस दौरान विष निकला था। इससे विष का पान महादेव ने किया था, जिसकी वजह से उनका शरीर जलने लगा था, क्योंकि विष की ज्वाला बहुत तीव्र थी। ऐसे में देवी-देवताओं ने महादेव से प्रार्थना की कि वह अपने मस्तक पर चन्द्रमा को धारण करें, जिसकी मदद से उन्हें शीतलता प्राप्त होगी। महादेव ने मस्तक पर चंद्र देव को धारण किया। इससे शिव जी को शीतलता मिली। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तभी से भगवान शिव के मस्तक पर चंद्रमा विराजमान हैं।

    पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव (Shiva connection with Nag) के गले में नाग धारण करने की कथा समुद्र मंथन से जुड़ी है। भगवान शिव के भक्त वासुकी थे, जिन्हें नागराज वासुकी के नाम से जाना जाता था। वह हमेशा महादेव की पूजा-अर्चना करते थे। समुद्र मंथन के समय नागराज वासुकी ने रस्सी के रूप में काम किया था। नागराज वासुकी की पूजा से महादेव प्रसन्न हुए और उन्होंने नागलोक का राजा बना दिया। साथ भगवान शिव ने अपने गले में नाग धारण किया।  

    ऐसे करें महादेव को प्रसन्न

    अगर आप मनचाहा वर पाना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल दें। इसके बाद विधिपूर्वक भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करें। इस दौरान प्रभु को सफेद चंदन, बेलपत्र, काले तिल और भांग अर्पित करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होते हैं। साथ ही मनचाहा वर मिलता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।