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    Holi 2026: 100 साल बाद बन रहा महासंयोग! चंद्र ग्रहण के साए में मनाई जाएगी होली

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 01:32 PM (IST)

    साल 2026 की होली बहेद महत्वपूर्ण होने वाली है। इस बार 100 सालों के बाद एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। 3 मार्च को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। य ...और पढ़ें

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    2026 का पहला चंद्रग्रहण (AI-generated image)

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। साल 2026 की होली इतिहास के पन्नों में एक बेहद खास और दुर्लभ घटना के रूप में दर्ज होने जा रही है। हम सभी हर साल इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं। लेकिन, इस बार का जश्न कुछ अलग होगा। खगोलीय गणनाओं के अनुसार, पूरे 100 साल बाद ऐसा महासंयोग बन रहा है, जब रंगों की होली और चंद्र ग्रहण एक ही दिन पड़ रहे हैं। 3 मार्च 2026 को होने वाला यह 'ग्रहण' सिर्फ एक वैज्ञानिक घटना नहीं है, बल्कि इसका हमारी धार्मिक परंपराओं और त्योहार मनाने के तरीके पर भी गहरा असर पड़ेगा।

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    इस दुर्लभ संयोग और ग्रहण से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी यहां विस्तार से दी गई है-

    तारीख और सटीक समय: साल 2026 का पहला चंद्र ग्रहण 3 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लगेगा। यह एक 'खंडग्रास' चंद्र ग्रहण होगा। भारतीय समयानुसार, ग्रहण की शुरुआत दोपहर 03:20 बजे होगी और इसकी समाप्ति शाम 06:47 बजे होगी। भारत के कुछ हिस्सों में दिखाई देने के कारण इसका धार्मिक महत्व काफी बढ़ जाता है।

    सूतक काल का प्रभाव: शास्त्रों के अनुसार, चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले ही लग जाता है। ऐसे में 3 मार्च की सुबह 06:20 बजे से ही सूतक काल प्रभावी हो जाएगा। इसका सीधा मतलब यह है कि जब सुबह पूरा देश रंगों में सराबोर होगा, उस समय सूतक के नियम लागू रहेंगे।

    होलिका दहन का मुहूर्त: होली के एक दिन पहले या उसी शाम होने वाला 'होलिका दहन' इस बार काफी सोच-समझकर करना होगा। चूंकि, ग्रहण शाम पौने सात बजे खत्म होगा, इसलिए विद्वानों का मानना है कि ग्रहण के मोक्ष (समाप्त) होने और घर की साफ-सफाई व स्नान के बाद ही होलिका पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा।

     Grahan 2026

    मंदिरों के कपाट और पूजा: सूतक काल लगते ही मंदिरों में मूर्तियों को स्पर्श करना वर्जित हो जाता है और कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान लोग भजन-कीर्तन या मानसिक जाप तो कर सकते हैं, लेकिन किसी भी प्रकार की मूर्ति पूजा नहीं होती। ग्रहण खत्म होने के बाद ही मंदिरों को धोकर दोबारा पूजा शुरू की जाती है।

    गर्भवती महिलाओं के लिए नियम: हमारी प्राचीन मान्यताओं में ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने को कहा जाता है। उन्हें सलाह दी जाती है कि वे ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें और नुकीली चीजों जैसे चाकू, कैंची या सुई का इस्तेमाल न करें।

    खान-पान की सावधानी: सूतक काल के दौरान भोजन करना वर्जित माना जाता है। हालांकि, बच्चों और बीमारों के लिए इसमें छूट होती है। ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए दूध, दही और बचे हुए भोजन में तुलसी के पत्ते डालना अनिवार्य माना गया है।

    खगोलीय महत्व: वैज्ञानिकों के लिए यह एक शानदार मौका है जब वे 100 साल बाद होली पर लगने वाले इस ग्रहण का अध्ययन करेंगे। उनके अनुसार, यह तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बिल्कुल बीच में आ जाती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।