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    Holi 2025 Mantra: सत्यनारायण पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप और आरती, खुशियों से भर जाएगी झोली

    ज्योतिषियों की मानें तो फाल्गुन पूर्णिमा यानी होली (Holi 2025 Mantra) के शुभ अवसर पर शिववास योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। रंगों का त्योहार होली देश और दुनिया में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Fri, 14 Mar 2025 11:00 AM (IST)
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    Holi 2025: होली पर क्या करें और क्या न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 14 मार्च को होली है। यह पर्व हर साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है। इससे एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर श्रीसत्यनारायण देव की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त पूजा होने तक व्रत रखा जाता है।

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    इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही फूटी किस्मत भी चमक उठती है। इसके अलावा, आर्थिक तंगी से मुक्ति मिलती है। साधक श्रद्धा भाव से पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं। अगर आप भी मनचाहा वरदान पाना चाहते हैं, तो फाल्गुन पूर्णिमा के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जप अवश्य करें।

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    होली पूजा मंत्र 

    1. आगच्छ भगवन्‌ ! देव! स्थाने चात्र स्थिरो भव ।

    यावत्‌ पूजां करिष्येऽहं तावत्‌ त्वं संनिधौ भव ॥

    2. ॐ श्री सत्यनारायणाय नमः,

    श्री सत्यनारायणाय आवाहयामि,

    आवाहनार्थे पुष्पाणि समर्पयामि ।

    3. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

    4. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

    अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

    त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

    श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

    5. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    ॐ तत्पुरुषाय विद्‍महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||

    6. ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।

    बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

    7. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    8. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।

    मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥

    9. ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:

    10. वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |

    पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।

    एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |

    य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।

    श्री सत्यनारायण जी आरती

    जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    रत्‍‌न जडि़त सिंहासन, अद्भुत छवि राजै ।

    नारद करत निराजन, घण्टा ध्वनि बाजै ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दर्श दियो ।

    बूढ़ा ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी ।

    चन्द्रचूड़ एक राजा, तिनकी विपत्ति हरी ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्ही ।

    सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर-स्तुति कीन्हीं ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो ।

    श्रद्धा धारण कीन्हीं, तिनको काज सरयो ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    ग्वाल-बाल संग राजा, वन में भक्ति करी ।

    मनवांछित फल दीन्हों, दीनदयाल हरी ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल, मेवा ।

    धूप दीप तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    श्री सत्यनारायण जी की आरती, जो कोई नर गावै ।

    ऋद्धि-सिद्ध सुख-संपत्ति, सहज रूप पावे ॥

    जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा ।

    सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।