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    Hariyali amavasya 2025: 24 या 25 जुलाई, कब है हरियाली अमावस्या? यहां पता करें शुभ मुहूर्त और योग

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 23 Jul 2025 06:24 PM (IST)

    सावन का महीना देवों के देव महादेव को प्रिय है। इस महीने में देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। इस महीने के अंतिम दिन भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन मनाया जाएगा।

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    Hariyali amavasya 2025: हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के अगले दिन हरियाली अमावस्या मनाई जाती है। यह महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर त्रिभुवन के स्वामी भोलेनाथ भंडारी की पूजा की जाती है। साथ ही पितरों की आत्मा की शांति हेतु तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है।

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    धार्मिक मत है कि अमावस्या तिथि पर भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के मानसिक एवं शारीरिक व्याधि से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में सुख और शांति का आगमन होता है। वहीं, पितरों की कृपा भी व्यक्ति विशेष पर बरसती है। आइए, हरियाली अमावस्या की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

    हरियाली अमावस्या शुभ मुहूर्त (Hariyali amavasya 2025 Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 24 जुलाई को देर रात 02 बजकर 27 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद सावन अमावस्या की शुरुआत होगी। आसान शब्दों में कहें तो सावन अमावस्या तिथि 24 जुलाई को देर रात 02 बजकर 28 मिनट पर शुरू होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है।

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    कब मनाई जाएगी हरियाली अमावस्या?

    वैदिक गणना से 24 जुलाई को अमावस्या तिथि है। वहीं, अमावस्या तिथि का समापन 25 जुलाई (अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब अनुसार) को देर रात 12 बजकर 40 मिनट पर होगा। अतः इस साल 24 जुलाई को हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से गंगा नदी में स्नान-ध्यान कर सकते हैं। साथ ही पितरों का तर्पण कर सकते हैं।

    शुभ योग (Hariyali amavasya 2025 Shubh Yoga)

    • हर्षण योग सुबह 09 बजकर 51 मिनट तक है।
    • गुरु पुष्य योग शाम 04 बजकर 43 मिनट से
    • सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास योग दिन भर है।
    • अमृत सिद्धि योग शाम 04 बजकर 43 मिनट से है।
    • पुनर्वसु नक्षत्र शाम 04 बजकर 43 मिनट तक है।
    • पुनर्वसु नक्षत्र के बाद पुष्य नक्षत्र का संयोग बनेगा।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 38 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट पर
    • चंद्रास्त- शाम 07 बजकर 16 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 15 मिनट से 04 बजकर 57 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 38 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।