Pradosh Vrat 2026: गुरु प्रदोष व्रत पर शुभ और शुक्ल समेत बन रहे हैं ये अद्भुत संयोग, चमक उठेगा सोया भाग्य
01 जनवरी को पौष माह का अंतिम गुरु प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। ज्योतिषियों के अनुसार, इस प्रदोष व्रत ...और पढ़ें

Pradosh Vrat 2026: गुरु प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

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अभी पढ़ेंधर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, नए साल के पहले दिन यानी 01 जनवरी को पौष महीने का अंतिम प्रदोष व्रत है। यह पर्व हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। गुरुवार के दिन पड़ने के चलते यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रखा जाता है।

ज्योतिषियों की मानें तो पौष माह के अंतिम प्रदोष व्रत पर शुभ, शुक्ल और शिववास योग समेत कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। आइए, गुरु प्रदोष व्रत पर बनने वाले योग के बारे में सबकुछ जानते हैं-
गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (Guru Trayodashi 2025 Date) तिथि की शुरुआत 01 जनवरी (31 दिसंबर की रात) को देर रात 01 बजकर 47 मिनट पर होगी और 01 जनवरी को देर रात 10 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिष गणना से 01 जनवरी को पौष माह का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।
गुरु प्रदोष व्रत शुभ योग (Pradosh Vrat 2025 Shubh Yog)
पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शुभ योग का संयोग है। इस योग का समापन प्रदोष काल यानी शाम 05 बजकर 12 मिनट पर होगा। ज्योतिष शुभ योग को मंगलकारी मानते हैं। इस योग में शिव शक्ति संग चंद्र देव की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
शुक्ल योग (Pradosh Vrat 2025 Shubh Yog)
पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शुक्ल योग का भी संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग प्रदोष काल में 05 बजकर 13 मिनट से है। ज्योतिष शुक्ल योग को मांगलिक कार्य के लिए शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को राहु और केतु समेत सभी प्रकार के अशुभ ग्रहों की कुदृष्टि से मुक्ति मिलेगी।
शिववास योग
गुरु प्रदोष व्रत पर शिववास का भी निर्माण हो रहा है। शिववास योग का संयोग देर रात 10 बजकर 22 मिनट तक है। इस समय तक भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। शिववास योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
रवि योग
पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रवि योग का संयोग बन रहा है। रवि योग का संयोग रात 10 बजकर 48 मिनट से है। वहीं, रवि योग का समापन 02 जनवरी को सुबह में होगा। रवि योग में भगवान शिव की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान मिलेगा। साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
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