Gupt Navratri June 2025: नवरात्र के पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, नोट करें विधि
Gupt Navratri June 2025 नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है। स्कंदमाता का रूप प्रेम और करुणा को दर्शाता है। स्कंद पुराण में देवी के विराट रूप की महिमा का बखान किया गया है। स्कंद माता की पूजा से निसंतान दंपतियों को संतान सुख मिलता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2025 date) माघ और आषाढ़ माह में मनाए जाते हैं। इस साल अषाढ़ के गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2025 date) 26 जून से शुरू हो रहे हैं। नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा और आराधना करने का विधान है।
माता का यह रूप प्रेम और करुणा को प्रदर्शित करता है। भगवान कार्तिकेय यानी स्कंद की मां होने की वजह से ही उनको स्कंदमाता का नाम मिला। स्कंद पुराण में देवी के विराट रूप की महिमा का बखान किया गया है।
स्कंद माता की पूजा करने से निसंतान दंपतियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। वह अपनी गोद में स्कंद देव को बैठे हुए हैं। कमल आसन पर शेर पर सवार मां के एक हाथ में कमल का फूल है और दूसरे हाथ से वह अपने पुत्र स्कंद को प्रेम से पकड़े हुए हैं।
कार्तिकेय को दी युद्ध की शिक्षा
स्कंदमाता ने यह रूप भगवान कार्तिकेय को देवताओं पर सेनापति के रूप में तैयार करने के लिए लिया था। इस रूप को धारण करके माता ने यह शिक्षा भी दी कि कैसे अपने संतान को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना चाहिए।
भगवान कार्तिकेय का जन्म तारकासुर नाम के रक्षा का वध करने के लिए हुआ था। दरअसल, उसने अपनी तपस्या से ब्रह्मदेव से यह वरदान हासिल किया था कि उसका वध भगवान शिव की संतान के हाथों ही हो।
तब मां पार्वती ने स्कंदमाता का रूप लेकर अपने पुत्र स्कंद को युद्ध के लिए तैयार किया। स्कंदमाता से युद्ध की शिक्षा लेकर भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर संहार किया और देवताओं की रक्षा की।
ऐसे करें पूजा
ब्रह्म मुहूर्त में नित्यक्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूपों को फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, वस्त्र, फल, मिठाई आदि जो भी है, श्रद्धा से अर्पित करें।
इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर मां दुर्गा चालीसा, मंत्र के साथ दुर्गा सप्तशती पाठ, स्कंदमाता मंत्र, स्तोत्र करने के बाद अंत में आरती कर लें।
स्कंदमाता का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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स्कंदमाता की आरती
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता।
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी।
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं।
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा।
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति।
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो।
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे।
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये।
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।"
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