Gupt Navratri June 2025: नवरात्र के चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा, हर लेंगी रोग और शोक
Gupt Navratri June 2025 नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाएगी। मां के हाथों में कमंडल धनुष कमल पुष्प अमृतकलश गदा चक्र और जपमाला सुशोभित हैं। आठ भुजाओं वाली और सिंह की सवारी करने वाली मां कूष्मांडा की पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं। जानते हैं उनकी पूजन विधि...

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2025 date) माघ और आषाढ़ माह में मनाए जाते हैं। इस साल अषाढ़ के गुप्त नवरात्र 26 जून से शुरू हो रहे हैं। नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा की जाएगी। मां के हाथों में कमंडल, धनुष, कमल, पुष्प, अमृतकलश, गदा, चक्र और जपमाला सुशोभित हैं।
आठ भुजाओं वाली और सिंह की सवारी करने वाली मां कूष्मांडा की पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं। वह रोग और शोक को हरने वाली हैं। ज्ञान और बुद्धि को देने वाली हैं। मां कूष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को सुख और सौभाग्य मिलता है।
देवी भागवत पुराण में मां कूष्मांडा की महिमा के बारे में बताया गया है। कहते हैं कि सृष्टि की शुरुआत में अंधकार था। माता ने अपनी मंद मुस्कान से उस अंधकार को दूर कर ब्रह्मांड की रचना की। इसलिए उन्हें कूष्मांडा देवी कहा जाता है।
मां कूष्मांडा की पूजाविधि
नवरात्र के चौथे दिन सुबह नित्य क्रिया और स्नान आदि करने के बाद मां कूष्मांडा के व्रत का संकल्प करें। इसके बाद गंगाजल से पूजा स्थल को पवित्र करके मां की प्रतिमा एक चौकी पर पीले कपड़े के ऊपर रखें।
मां कूष्मांडा का ध्यान करते हुए पीले वस्त्र, फूल, फल, मालपुआ, धूप, दीप और अक्षत चढ़ाएं। इसके बाद ‘ऊं कूष्माण्डायै नम:’, ‘कूष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:’ और ‘या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥’ मंत्रों से मां कूष्मांडा की पूजा और आराधना करें।
दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। अंत में मां की आरती करें क्योंकि इसके बिना पूजा पूरी नहीं मानी जाती है। फिर भोग लगाने के बाद क्षमा याचना करें।
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मां कूष्मांडा की आरती (Maa Kushmanda Ki Aarti Lyrics)
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
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