Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Govardhan Puja को इसलिए कहा जाता है अन्नकूट पूजा, जानें इस दिन का महत्व

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 11:45 AM (IST)

    हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2025) की जाती है। मुख्यतः यह पर्व दिवाली के एक दिन पड़ता है। विशेष तौर मथुरा वृंदावन नंदगांव गोकुल बरसाना में इस पर्व की भव्यता देखने को मिलती है। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं इस दिन का महत्व और पूजा विधि।

    Hero Image
    Govardhan Puja 2025 इस तरह करें गोवर्धन पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इस बार गोवर्धन पूजा बुधवार, 22 अक्टूबर को की जाएगी, जिसे अन्नकूट पूजा (Annakut Puja 2025) भी कहा जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं। क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर धारण किया था, ताकि ब्रजवासियों को घनघोर वर्षा से रक्षा की जा सके।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गोवर्धन पूजा मुहूर्त

    गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त - सुबह 6 बजकर 26 मिनट से रात 8 बजकर 42 मिनट तक

    गोवर्धन पूजा संध्या काल मुहूर्त - दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से शाम 5 बजकर 44 मिनट तक

    इसलिए कहा जाता है अन्नकूट पूजा

    गोवर्धन पूजा के दिन भक्त तरह-तरह के भोजन तैयार करते हैं और उन्हें गोवर्धन पर्वत के आकार में सजाते हैं, जिसे अन्नकूट के रूप में जाना जाता है। इसलिए इस दिन को अन्नकूट पूजा के रूप में भी जाना जाता है। अन्नकूट का अर्थ है कई प्रकार के अन्न का मिश्रण।

    इसे भोग के रूप में भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है और इसके बाद अन्य लोगों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण के मंदिरों में अन्नकूट का आयोजन किया जाता है। कई स्थानों पर गोवर्धन पूजा के दिन बाजरे की खिचड़ी या कड़ी बाजरे का भी भोग लगाकर लोगों में बांटा जाता है।

    गोवर्धन पूजा विधि

    गोवर्धन पूजा के दिन सबसे पहले गोबर से गिरिराज महाराज तैयार किए जाते हैं। इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल, फूल आदि चढ़ाए जाते हैं। इस दिन पर कृषि के काम में आने वाले पशुओं जैसे गाय, बैल आदि की पूजा का भी विधान है। गोवर्धन जी की नाभि के स्थान पर एक मिट्टी का दीपक या कोई अन्य पात्र रखा जाता है और उसमें दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे डाले जाते हैं।

    पूजा के बाद में इसे प्रसाद के रूप में बांट जाता है। पूजा समाप्त होने के बाद गोवर्धन जी की सात बार परिक्रमा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पर गिरिराज महाराज जी की पूजा-अर्चना से साधक के धन, संतान और गौ रस में वृद्धि होती है।

    यह भी पढ़ें - Kartik 2025: कार्तिक माह में जरूर करें तुलसी से जुड़े ये उपाय, मिलेगा कई समस्याओं का हल

    यह भी पढ़ें - एक श्राप की वजह से रोजाना तिल बराबर कम हो रहा गोवर्धन पर्वत का आकार, पढ़ें पौराणिक कथा

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।