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    Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा पर करें मुरलीधर की खास पूजा, यहां जानें पूजा से जुड़ी सभी अपडेट

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 11:42 AM (IST)

    गोवर्धन पूजा का पर्व हर साल भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है, इस साल यह 22 अक्टूबर को पड़ रहा है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के क्रोध से बचाने का प्रतीक है। इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाकर उनकी पूजा करने का विधान है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गोवर्धन पूजा का पर्व हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल गोवर्धन पूजा का पर्व 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण की लीला का प्रतीक है, जब उन्होंने ब्रजवासियों को देवराज इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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    गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त ( Govardhan Puja 2025 Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से लेकर 02 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 44 मिनट से 06 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। अमृत काल दोपहर 04 बजे से 05 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप पूजा समेत कोई भी शुभ काम कर सकते हैं।

    गोवर्धन पूजा विधि ( Govardhan Puja 2025 Rituals)

    • गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की विशेष आराधना की जाती है।
    • पूजा के लिए घर के आंगन या मुख्य द्वार के पास गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है।
    • इसके साथ ही गाय, बछड़े और ग्वालों की छोटी-छोटी आकृतियां भी बनाई जाती हैं।
    • शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीकृष्णऔर गोवर्धन पर्वत की विधिवत पूजा करें।
    • उन्हें रोली, चावल, फूल, धूप, दीप, और जल अर्पित करें।
    • इस दिन अन्नकूट का भोग लगाने का विशेष महत्व है।
    • इसके अलावा भोग में दाल, सब्जियां और पकवान जैसे कि कढ़ी-चावल, खीर, माखन-मिश्री तैयार करके गोवर्धन भगवान को अर्पित किए जाते हैं।
    • कई भक्त छप्पन भोग भी चढ़ाते हैं।
    • इस दिन गायों की पूजा भी की जाती है।
    • गायों को स्नान कराकर, टीका लगाकर, फूल और माला पहनाए जाते हैं।
    • उन्हें गुड़ तथा चावल मिलाकर खिलाया जाता है।
    • पूजा के बाद गोवर्धन पर्वत की बनाई गई आकृति की सात बार परिक्रमा की जाती है।
    • परिक्रमा के समय श्रीकृष्ण के वैदिक मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है।
    • अंत में गोवर्धन पूजा की कथा सुनने और भगवान श्री कृष्ण की आरती करनी चाहिए।
    • फिर भोग को प्रसाद के रूप में सभी में बांटना चाहिए।

     अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।