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    Govardhan Puja 2025: क्यों चढ़ते हैं गोवर्धन पर 56 भोग? जानें धार्मिक महत्व, लाभ और पूजा मुहूर्त

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 06:50 AM (IST)

    गोवर्धन पूजा दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है, जिसे अन्नकूट उत्सव भी कहते हैं। यह भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस दिन (Govardhan Puja 2025) गाय माता की भी पूजा होती है और भगवान कृष्ण को 56 भोग चढ़ाने की परंपरा है, तो चलिए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Govardhan Puja 2025: गोवर्धन पूजा समय।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। दीपावली के अगले दिन कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा होती है। इसे अन्नकूट उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण द्वारा ब्रजवासियों को देवराज इंद्र के प्रकोप से बचाने की कथा को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन (Govardhan Puja 2025) पूजा-पाठ करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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    • गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त - सुबह 06:26 बजे से सुबह 08:42 बजे तक।
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    गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व

    गोवर्धन पूजा का संबंध सीधे भगवान श्रीकृष्ण की लीला से है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र की पूजा न करके गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने गोकुल पर भारी बारिश की। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की। यह पूजा अहंकार पर भक्ति और प्रकृति की शक्ति की विजय का प्रतीक है। इस दिन गाय माता की भी विशेष पूजा होती है।

    इसके अलावा इस महापर्व को अन्नकूट उत्सव भी कहा जाता है, जिसमें नए अनाज और सब्जियों से विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं और भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं।

    क्यों चढ़ाया जाता है 56 भोग?

    गोवर्धन पूजा पर भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग चढ़ाने की परंपरा बेहद पुरानी है। ऐसी मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था, तब उन्होंने लगातार सात दिनों तक ब्रजवासियों की रक्षा की। इस दौरान उन्होंने अन्न और जल ग्रहण नहीं किया। माता यशोदा अपने बाल कृष्ण को दिन में आठ पहर भोजन कराती थीं। जब सात दिन बाद इंद्र का क्रोध शांत हुआ, तो ब्रजवासियों और माता यशोदा को यह चिंता हुई कि कृष्ण सात दिनों तक भूखे रहे।

    इसलिए उन्होंने सातों दिन के आठों पहर के भोजन की भरपाई करने के लिए 56 तरह के व्यंजन बनाए और मुरलीधर को भोग लगाया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि भक्त अपनी भक्ति और प्रेम को प्रकट करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग चढ़ाते हैं।

    56 भोग चढ़ाने के लाभ

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन 56 भोग चढ़ाने से भक्तों के घर में अन्न और धन की कभी कमी नहीं होती। इसके साथ ही जीवन में जीवन में शुभता आती है और भगवान कृष्ण खुश होते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।