Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Bhai Dooj 2025: भाई दूज क्यों कहलाता है यम द्वितीया? जानिए महत्व और परंपरा

    By Digital DeskEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Tue, 21 Oct 2025 09:00 AM (IST)

    भाई दूज, दिवाली के बाद मनाया जाने वाला एक विशेष पर्व है जो भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई उन्हें उपहार और आशीर्वाद देते हैं। इसे 'यम द्वितीया' भी कहा जाता है, जो यमराज और उनकी बहन यमुना की कथा से जुड़ा है। 

    Hero Image

    Bhai Dooj 2025: तिलक मूहूर्त।

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। भाई दूज, जो दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है, भाई-बहन के रिश्ते को और गहरा करने वाला एक खास पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, खुशहाली और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं और उनके लिए अपने स्नेह का इज़हार करती हैं। भाई भी अपनी ओर से बहन को उपहार और आशीर्वाद देते हैं, जिससे उनके बीच प्यार और भरोसा और मजबूत होता है। यह पर्व केवल उपहार और तिलक का अवसर नहीं है, बल्कि भाई-बहन के पारंपरिक संबंध में सुरक्षा, सम्मान और जिम्मेदारी की भावना को भी उजागर करता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    BHAI DOOJ badra ka sAYA

    तिलक के लिए शुभ समय अवधि 

    • अभिजित काल: सुबह 11:43 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक
    • अमृत काल: शाम 06:57 बजे से रात्रि 08:45 बजे तक

    यम द्वितीया का महत्व

    भाई दूज को 'यम द्वितीया' भी कहा जाता है, क्योंकि इसका संबंध यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की कथा से जुड़ा है। प्राचीन मान्यता के अनुसार, यमराज अपनी बहन यमुनाजी के घर उनके सम्मान और स्नेह का आदर करने गए थे। यमुनाजी ने उन्हें तिलक किया, आरती उतारी और भोजन कराकर अपने प्रेम और सेवा का भाव दिखाया।

    इस पर यमराज ने वचन दिया कि जो भाई अपनी बहन को इस दिन बुलाकर तिलक और भोजन कराएगा, उसकी बहन हमेशा सुरक्षित, सुखी और समृद्ध रहेगी। इस वजह से भाई दूज को यम द्वितीया कहा गया और यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते में सुरक्षा, स्नेह और आशीर्वाद का प्रतीक बन गया।

    बहनों की भूमिका और पर्व की परंपरा

    भाई दूज पर बहन अपने भाई का गर्मजोशी से स्वागत करती है, उसके माथे पर तिलक करती है और उसकी लंबी उम्र, स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना करती है। इसके साथ ही वह अपने हाथों से भोजन कराकर अपने स्नेह और सेवा का भाव प्रकट करती है। भाई भी इस अवसर पर बहन के प्रति अपने प्रेम और सुरक्षा का वचन देते हैं और उसे उपहार देते हैं। रक्षाबंधन और भाई दूज दोनों भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मानते हैं, लेकिन रक्षाबंधन भाई की जिम्मेदारी और सुरक्षा पर केंद्रित है, जबकि भाई दूज बहन के स्नेह और सेवा की भावना को उजागर करता है।

    यह भी पढ़ें- Bhai Dooj पर जरूर करें ये काम, भाई-बहन को मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।