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    Chitragupta Puja 2025: चित्रगुप्त पूजा पर क्या करें और क्या नहीं? जानिए नियम

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 10:35 AM (IST)

    कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई दूज के साथ चित्रगुप्त पूजा मनाई जाती है, जो मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाले भगवान चित्रगुप्त को समर्पित है। 2025 में यह 23 अक्टूबर को की जाएगी। इस दिन को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन सभी को करना चाहिए, आइए जानते हैं।

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    Chitragupta Puja 2025: चित्रगुप्त पूजा पर क्या करें, जानिए नियम।

     धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त पूजा का पावन पर्व मनाया जाता है। यह पर्व दिवाली के अगले दिन भाई दूज के साथ ही आता है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है, जो मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चित्रगुप्त पूजा (Chitragupta Puja 2025) 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी, तो आइए इस दिन जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमों को जानते हैं, जिससे जीवन में आने वाली बाधा से बचा जा सके।

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    चित्रगुप्त पूजा पर क्या करें? (Chitragupta Puja 2025 Par Kya Karen?)

    • पूजा से पहले घर की साफ-सफाई करें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
    • लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित करें।
    • पूजा में अपनी किताब, पेन आदि रखें।
    • इन्हें भगवान चित्रगुप्त का प्रतीक माना जाता है।
    • पूजा शुरू करने से पहले 'ऊँ श्री गणेशाय नमः' का जाप करें।
    • भगवान चित्रगुप्त का ध्यान करें और उन्हें रोली, चंदन, फूल, अक्षत और पंचामृत चढ़ाएं।
    • घी का दीपक और धूप जलाएं।
    • 'ऊँ चित्रगुप्ताय नमः' मंत्र का कम से कम 11 बार जाप करें।
    • एक कोरे कागज पर 'श्री गणेशाय नमः' और 'ऊँ चित्रगुप्ताय नमः' लिखें। इसके बाद उस पर अपनी इच्छाएं लिखें। अंत में 'मसिभाजन संयुक्तश्चरसि त्वम्! महीतले। लेखनी कटिनीहस्त चित्रगुप्त नमोस्तुते।।' इस मंत्र का उच्चारण करें।
    • पूजा के बाद आरती करें और सभी में प्रसाद बांटें।
    • इस दिन भगवान से जाने-अनजाने में हुए पापों के लिए क्षमा मांगें।

    चित्रगुप्त पूजा पर क्या नहीं करें? (Chitragupta Puja 2025 Par Kya Naa Karen?)

    • इस दिन तामसिक भोजन या किसी भी तरह की तामसिक चीजों से बचें।
    • गंदे या अशुद्ध वस्त्र पहनकर पूजा न करें।
    • पूजा के दौरान पूरी एकाग्रता बनाए रखें।
    • अगर पूजा विधि नहीं है, तो किसी जानकार से पूछकर ही पूजा करें, अधूरी या गलत विधि से पूजा न करें।
    • यह दिन शांति और पवित्रता का प्रतीक है। ऐसे में किसी से झगड़ा न करें, गुस्से पर काबू रखें और किसी भी जीव को परेशान न करें।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।