Goga Navami 2025: अगस्त में कब मनाई जाएगी गोगा नवमी, जानिए इस पर्व से जुड़ी मान्यताएं
गोगा नवमी का पर्व गोगा देव यानी जाहरवीर के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। गोगा देव को इस नागों के देवता भी कहते हैं इसलिए गोगा नवमी पर नागों की पूजा की जाती है। साथ ही यह भी मान्यता चली आ रही है कि गोगा नवमी पर गोगादेव की विशेष रूप से पूजा-अर्चना करने से साधक को सांप के डसने का डर नहीं रहता।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की नवमी पर गोगा नवमी (Goga Navami 2025) मनाई जाती है। गोगा देव की पूजा सावन माह की पूर्णिमा से शुरू होती है, जो पूरे 9 दिनों तक चलती है। नवमी तिथि पर गोगा देव की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है, इसलिए इसे गोग नवमी के रूप में मनाया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि अगस्त में गोगा नवमी कब मनाई जाएगी।
गोगा नवमी मुहूर्त (Goga Navami date)
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि का प्रारंभ 16 अगस्त को रात 9 बजकर 34 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 17 अगस्त को शाम 7 बजकर 24 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए गोगा नवमी का पर्व रविवार, 17 अगस्त को मनाया जाएगा।
श्री गोगा नवमी का महत्व
श्री गोगा नवमी, राजस्थान का लोकपर्व है, जिसे स्थानीय भाषा में गुग्गा नवमी भी कहते हैं। इसके अलावा यह पर्व हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश के कई राज्यों में मनाया जाता है। माना जाता है कि गोगादेव जी के पास नागों को वश में करने की शक्ति थी।
ऐसे में जो भी साधक गोगा नवमी पर गोगा देव की पूजा करता है, तो उसे सांप के डसने का डर नहीं रहता। साथ ही श्री गोगादेव की पूजा से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि का भी वास बना रहता है।
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गोगा नवमी पूजा विधि (Goga Navami Puja vidhi)
गोगा नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद पूजा स्थल पर गोगा देव जी की मिट्टी से बनाई हुई मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद गोगा देव की पूजा में उन्हें हल्दी, चावल, रोली, वस्त्र और अन्य सामग्री अर्पित करें। इन दिन आप उन्हें भोग के रूप में खीर, चूरमा और गुलगुले (पुए) आदि का भोग लगाएं।
साथ ही गोगा देव जी के घोड़े को मसूर की दाल का भोग लगाएं। अंत में गोगा जी कथा का पाठ करें और उनकी आरती करें। सभी लोगों में प्रसाद बांटें। इसके साथ ही रक्षाबंधन पर बांधी गई राखी को इस दिन गोगा देव की अर्पित करने का भी विधान है।
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