Gita Updesh: जीवन में जरूर उतारें गीता की ये बातें, रिश्तों में आएगी मिठास और मजबूती
आज के समय में रिश्तों को बनाए रखना और उन्हें निभाना एक बहुत बड़ी चुनौती बनता जा रहा है जिसका एक धैर्य की कमी भी है। ऐसे में आप भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए गीता के उपदेश को अपने जीवन में अपनाकर काफी लाभ देख सकते हैं। चलिए जानते हैं रिश्तों को मजबूत रखने के टिप्स।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। युद्ध की भूमि में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश दिया गया था। आज कई लोग भगवद्गीता (Bhagavad Gita Updesh) का पाठ करते हैं, जो उन्हें नई राह दिखाने में काफी मददगार है। ऐसे में आज हम आपको गीता में बताए गए कुछ ऐसे उपदेश बताने जा रहे हैं, जो रिश्तों को मिठास को बरकरार रखने में आपकी सहायता कर सकते हैं।
खुद का आकलन है जरूरी
गीता में कहा गया है कि किसी भी रिश्ते को आप तभी ठीक तरीके से निभा सकते हैं, आपको अपनी इच्छाओं, भय, शक्तियों और कमजोरियों का ज्ञान होगा। अर्थात कोई भी रिश्ता आत्म-साक्षात्कार से शुरू होता है। इन सभी चीजों को समझने के बाद ही आप दूसरों से अच्छे संबंध बना पाएंगे।
पैदा हो सकती है खटास
कभी-कभी व्यक्ति कुछ रिश्तों में बहुत अधिक आसक्ति या मोह रखने लगता है, जिस कारण इस रिश्ते में जकड़न पैदा होने लगती है, यानी मोह के कारण हम बंध जाते हैं। इसे लेकर भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब हम किसी रिश्ते में जरूरत से ज्यादा मोह रखते हैं, तो उस संबंध में भी खटास पैदा होने की संभावना बनी रहती है। ऐसे में बिना किसी स्वार्थ के रिश्ता निभाना चाहिए, तभी आप उस रिश्ते को अच्छी तरह निभा पाएंगे।
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कभी कम नहीं होगा प्रेम
गीता के अनुसार, अगर आप अपने वैवाहिक या प्रेम संबंध को मजबूत रखना चाहते हैं, तो इसके लिए सबसे जरूर है एक-दूसरे का सम्मान करना। क्योंकि प्रेम के रिश्ते में यदि सम्मान न हो, तो इससे कड़वाहट पैदा होने लगती है और धीरे-धीरे प्यार कम होने की नौबत आ जाती है। ऐसे में प्रेम संबंध में प्यार बरकरार रखने के लिए इस बात का ख्याल जरूर रखें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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