Masik Krishna Janmashtami के दिन राधा रानी को इस तरह करें प्रसन्न, जीवन की सभी समस्या होगी दूर
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी (Masik Janmashtami 2025 Date) के शुभ अवसर पर भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन उपासना और व्रत करने से साधक को जीवन में सभी सुख मिलते हैं और कारोबार में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं कैसे करें भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को प्रसन्न?

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी (Masik Krishna Janmashtami 2025) का पर्व मनाया जाता है। इस तिथि पर भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही सभी सुखों को पाने के लिए व्रत भी किया जाता है।
अगर आप भगवान श्री कृष्ण के संग राधा रानी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो पूजा के दौरान राधा रानी के 108 नामों का जप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन मंत्रों का जप करने से साधक पर राधा रानी की कृपा बरसती है। साथ ही जीवन की समस्या से छुटकारा मिलता है।
मासिक जन्माष्टमी 2025 शुभ मुहूर्त (Masik Krishna Janmashtami 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 20 अप्रैल को शाम 07 बजे से होगी और अगले दिन यानी 21 अप्रैल को शाम 06 बजकर 58 पर तिथि खत्म होगी। इस प्रकार से मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 20 अप्रैल को मनाई जाएगी।
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राधा जी के 108 नाम (Radha Mantra)
- ॐ श्रीराधायै नम:
- ॐ राधिकायै नम:
- ॐ जीवायै नम:
- ॐ जीवानन्दप्रदायिन्यै नम:
- ॐ नन्दनन्दनपत्न्यै नम:
- ॐ वृषभानुसुतायै नम:
- ॐ शिवायै नम:
- ॐ गणाध्यक्षायै नम:
- ॐ गवाध्यक्षायै नम:
- ॐ जगन्नाथप्रियायै नम:
- ॐ किशोर्यै नम:
- ॐ कमलायै नम:
- ॐ कृष्णवल्लभायै नम:
- ॐ कृष्णसंयुतायै नम:
- ॐ वृन्दावनेश्वर्यै नम:
- ॐ कृष्णप्रियायै नम:
- ॐ मदनमोहिन्यै नम:
- ॐ श्रीमत्यै कृष्णकान्तायै नम:
- ॐ कृष्णानन्दप्रदायिन्यै नम:
- ॐ यशस्विन्यै नम:
- ॐ यशोगम्यायै नम:
- ॐ यशोदानन्दवल्लभायै नम:
- ॐ दामोदरप्रियायै नम:
- ॐ गोकुलानन्दकर्त्र्यै नम:
- ॐ गोकुलानन्ददायिन्यै नम:
- ॐ गतिप्रदायै नम:
- ॐ गीतगम्यायै नम:
- ॐ गमनागमनप्रियायै नम:
- ॐ विष्णुप्रियायै नम:
- ॐ विष्णुकान्तायै नम:
- ॐ विष्णोरंकनिवासिन्यै नम:
- ॐ यशोदानन्दपत्न्यै नम:
- ॐ यशोदानन्दगेहिन्यै नम:
- ॐ कामारिकान्तायै नम:
- ॐ कामेश्यै नम:
- ॐ कामलालसविग्रहायै नम:
- ॐ जयप्रदायै नम:
- ॐ जयायै नम:
- ॐ गोप्यै नम:
- ॐ गोपानन्दकर्यै नम:
- ॐ कृष्णांगवासिन्यै नम:
- ॐ हृद्यायै नम:
- ॐ चित्रमालिन्यै नम:
- ॐ विमलायै नम:
- ॐ दु:खहन्त्र्यै नम:
- ॐ मत्यै नम:
- ॐ धृत्यै नम:
- ॐ लज्जायै नम:
- ॐ कान्त्यै नम:
- ॐ पुष्टयै नम:
- ॐ गोकुलत्वप्रदायिन्यै नम:
- ॐ केशवायै नम:
- ॐ केशवप्रीतायै नम:
- ॐ रासक्रीडाकर्यै नम:
- ॐ रासवासिन्यै नम:
- ॐ राससुन्दर्यै नम:
- ॐ हरिकान्तायै नम:
- ॐ हरिप्रियायै नम:
- ॐ प्रधानगोपिकायै नम:
- ॐ गोपकन्यायै नम:
- ॐ त्रैलोक्यसुन्दर्यै नम:
- ॐ वृन्दावनविहारिण्यै नम:
- ॐ विकसितमुखाम्बुजायै नम:
- ॐ पद्मायै नम:
- ॐ पद्महस्तायै नम:
- ॐ पवित्रायै नम:
- ॐ सर्वमंगलायै नम:
- ॐ कृष्णकान्तायै नम:
- ॐ विचित्रवासिन्यै नम:
- ॐ वेणुवाद्यायै नम:
- ॐ वेणुरत्यै नम:
- ॐ सौम्यरूपायै नम:
- ॐ ललितायै नम:
- ॐ विशोकायै नम:
- ॐ विशाखायै नम:
- ॐ लवंगनाम्न्यै नम:
- ॐ कृष्णभोग्यायै नम:
- ॐ चन्द्रवल्लभायै नम:
- ॐ अर्द्धचन्द्रधरायै नम:
- ॐ रोहिण्यै नम:
- ॐ कामकलायै नम:
- ॐ बिल्ववृक्षनिवासिन्यै नम:
- ॐ बिल्ववृक्षप्रियायै नम:
- ॐ बिल्वोपमस्तन्यै नम:
- ॐ तुलसीतोषिकायै नम:
- ॐ गजमुक्तायै नम:
- ॐ महामुक्तायै नम:
- ॐ महामुक्तिफलप्रदायै नम:
- ॐ प्रेमप्रियायै नम:
- ॐ प्रेमरुपायै नम:
- ॐ प्रेमभक्तिप्रदायै नम:
- ॐ प्रेमक्रीडापरीतांग्यै नम:
- ॐ दयारुपायै नम:
- ॐ गौरचन्द्राननायै नम:
- ॐ कलायै नम:
- ॐ शुकदेवगुणातीतायै नम:
- ॐ शुकदेवप्रियायै सख्यै नम:
- ॐ रतिप्रदायै नम:
- ॐ चैतन्यप्रियायै नम:
- ॐ सखीमध्यनिवासिन्यै नम:
- ॐ मथुरायै नम:
- ॐ श्रीकृष्णभावनायै नम:
- ॐ पतिप्राणायै नम:
- ॐ पतिव्रतायै नम:
- ॐ सकलेप्सितदात्र्यै नम:
- ॐ कृष्णभार्यायै नम:
- ॐ श्यामसख्यै नम:
- ॐ कल्पवासिन्यै नम:
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