Bhagavad Gita: जीवन में देर से क्यों होती हैं अच्छी चीजें, भगवद गीता में बताया है कारण
आज के इस भागदौड़ वाले समय में व्यक्ति को हर चीज जल्दी पाने की इच्छा रहती है चाहे वह प्रेम हो या सफलता। साथ ही व्यक्ति की धैर्य क्षमता में भी कमी आई है। लेकिन भगवद्गीता में बताया गया है कि आखिर जीवन में हम जिस चीज को पाने की बहुत अधिक इच्छा रखते हैं वह हमें देर से क्यों मिलती हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवत गीता (Bhagavad Gita Updesh) का ज्ञान भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्ध भूमि में दिया गया था। भगवद गीता, महाभारत ग्रंथ का ही एक भाग है, जिसमें कई जीवनोपयोगी शिक्षाएं मिलती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि भगवद गीता के अनुसार, व्यक्ति को क्या करना चाहिए कि वह अपने लक्ष्य तक पहुंच सके।
न करें परिणाम की चिंता
भगवद गीता का एक काफी लोकप्रिय श्लोक है, जिसमें कहा गया है कि व्यक्ति को बिना फल की इच्छा के अपना कर्म करते रहना चाहिए। क्योंकि केवल कर्म पर ही मनुष्य का अधिकार है, उसके परिणाम पर नहीं, इसलिए परिणाम कब और कैसे आएंगे, इसकी चिंता न करें। अगर हम जो चाहते हैं, वह हमें बहुत जल्दी मिल जाए, तो व्यक्ति की नजरों में उसका मूल्य कम हो जाता है। वहीं देर से मिली चीज की कीमत अधिक लगती है।
इसलिए नहीं करनी चाहिए जल्दबाजी
कभी-कभी हम मान लेते हैं कि अगर हमें किसी चीज का परिणाम तुरंत नहीं मिल रहा है, तो इसका अर्थ है कि उसका परिणाम कभी नहीं मिलेगा। लेकिन प्रकृति का यह नियम है कि हर चीज अपने समय पर होती है।
उदाहरण के तौर पर एक पेड़ तब तक बड़ा नहीं हो सकता, जब तक कि उसकी जड़ें गहरी न हो जाएं। वहीं पानी से भी पत्थर काटा जा सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगता है। ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण चीजें कभी जल्दबाजी में नहीं होती, बल्कि उन्हें समय देना पड़ता है।
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क्या कहती है गीता
व्यक्ति का सारा ध्यान केवल अपने लक्ष्य की प्राप्ति पर रहता है। इस दौरान वह भूल जाता है कि, असल में लक्ष्य तक पहुंचने की प्रक्रिया ही असली यात्रा है। गीता में भी कहा गया है कि “बिना आसक्ति के कार्य करो।” जब आप परिणामों की प्रतीक्षा में बैठे नहीं रहते, तो आप आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं। अगर आप जीवन के प्रवाह के साथ बहेंगे, तो जो आपका है, वह आप तक पहुंच ही जाएगा।
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