Gita Updesh: गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है सुखी जीवन का राज, आसपास भी नहीं भटकेगा दुख
आज के भागदौड़ भरे समय में खुश रहना एक मुश्किल काम है। ऐसे में आप भगवत गीता में बताए गए उपदेशों को आत्मसात कर जीवन में सुख का अनुभव कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए कुछ ऐसे तरीकों के बारे में जिनके द्वारा व्यक्ति मुश्किल परिस्थिति में भी प्रसन्न रह सकता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गीता के उपदेश (Bhagavad Gita Updesh) असल में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्ध की भूमि में दिया गया ज्ञान है। भगवद गीता की मान्यता केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी इसे पढ़ा और आत्मसात किया जा रहा है। गीता में वर्णन मिलता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने व्यक्ति को खुश रहने के कुछ तरीके बताते हैं। चलिए जानते हैं इस बारे में।
छोड़े दें ये आदतें
भगवत गीता में श्री कृष्ण, अर्जुन से कहते हैं कि यदि व्यक्ति को प्रसन्न रहना है, तो उसे दूसरों की आलोचना से दूर रहना होगा। इसी के साथ बेवजह दूसरों की शिकायत करना भी छोड़ दें। तभी आप जीवन में खुश रह सकते हैं।
खुश रहने का मूल मंत्र
कई बार व्यक्ति हर चीज में दूसरों से अपनी तुलना करता रहता है। इस विषय में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि वही व्यक्ति जीवन में प्रसन्न रह सकता है, जो अपनी तुलना दूसरों से नहीं करता। खुश रहने का मूल मंत्र यही है कि आप जैसे हैं, वैसे ही खुद को स्वीकार करें।
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नहीं सताएगा कोई भी दुख
गीता का उपदेश देते समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि व्यक्ति को कोई भी काम नि:स्वार्थ भाव से काम करना चाहिए। यानी आपको कोई भी काम बिना फल की इच्छा के करना चाहिए। ऐसे में अगर आप इस सीख को अपने जीवन में उतार लेते हैं, तो दुख का जीवन में कोई स्थान नहीं रह जाएगा।
खुश नहीं रहते ऐसे व्यक्ति
जो बीत चुका है, उसपर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसे में जो व्यक्ति अतीत के बारे में सोचता रहते है, वह जीवन में कभी सुखी नहीं हो सकता। इस विषय में गीता में कहा गया है कि अगर आप अतीत की स्मृतियों को अपने साथ लेकर चलते रहेंगे, तो जीवन में कभी खुश नहीं रह पाएंगे। इसलिए जितना जल्दी हो सके अतीत को भूलकर जीवन में आगे बढ़ें।
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