Mahabharata Katha: कौरवों को युद्ध में हराने के लिए पांडवों ने यहां किया था यज्ञ, बनाए थे हवन कुंड
कुरुक्षेत्र के मैदान में कौरव और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध हुआ था। महाभारत ग्रंथ में इस युद्ध का विशेष उल्लेख देखने को मिलता है। युद्ध (Mahabharata Legend) के समय ऐसी कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुई जो आज के समय में भी देखने को मिलती हैं। पांडवों के द्वारा किए गए हवन के अवशेष भी मिलते हैं। आइए जानते हैं इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। द्वापर युग के दौरान धर्म की रक्षा के लिए महाभारत का युद्ध हुआ था। युद्ध कुरुक्षेत्र में हुआ था। इसी वजह से इसे कुरुक्षेत्र का युद्ध भी कहा जाता है। इस युद्ध के होने के पीछे कई कारण थे जैसे- कौरव चाहते थे कि उन्हें ही सारा राजपाट मिल जाए। वहीं, दुर्योधन को अधिक अहंकार था। वे पांडवों को जमीन देने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे। अन्य और भी कारणों की वजह से कौरव (Kauravas Defeat) और पांडवों के बीच युद्ध हुआ। चौसर के खेल में पांडवों को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्हें 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास मिला था।
इस गांव में किया था वास
वनवास के दौरान पांडव राजस्थान के डूंगरपुर जिले के छापी गांव गए थे। इस गांव में उन्होंने महादेव को प्रसन्न करने के लिए महायज्ञ (Pandavas Yajna) का आयोजन किया था। इसके लिए उन्होंने हवन कुंड बनाए थे। ऐसा बताया जाता है कि आज भी इसके अवशेष मिलते हैं। जिसे पांडवों की धूनी के नाम से जाना जाता है।
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युद्ध में सफलता प्राप्ति के लिए किया था यज्ञ
वनवास के दौरान कुछ समय के लिए युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव छापी गांव में वास किया था। इस दौरान उन्होंने कौरवों से युद्ध में सफलता प्राप्ति के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए महायज्ञ किया था।
इसके लिए बनाए गए कुंड को पांडवों की धुनी के नाम से जाना जाता है। ऐसा बताया जाता है कि आज भी पांडवों की धुनी जल रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि धुनी का रख-रखाव स्थानीय लोग करते हैं।
मिलते हैं महाभारत युद्ध के अवशेष
महाभारत का युद्ध हरियाणा के कुरुक्षेत्र में हुआ था। पुरातत्व सर्वेक्षण के दौरान इस जगह से कई महाभारत काल के दौरान कई अवशेष प्राप्त हुए हैं। जैसे- बाण, भाले समेत आदि। इसके अलावा एक बेहद पुराना कुआं भी मौजूद है। ऐसा बताया जाता है कि यहां चक्रव्यूह की रचना कर अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को धोखे से मारा गया था।
इतने दिन चला था युद्ध
महाभारत का युद्ध 18 दिन तक चला था। इसलिए महाभारत युद्ध में 18 की संख्या का विशेष महत्व है। क्योंकि महाभारत ग्रंथ में कुल 18 अध्याय शामिल हैं।
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