Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mahabharat Yuddh: महाभारत से जुड़े हुए हैं ये स्थान, जहां आज भी मौजूद हैं साक्ष्य

    Updated: Sat, 19 Oct 2024 02:16 PM (IST)

    महाभारत ग्रंथ महर्षि वेद-व्यास द्वारा लिखा गया था। इस युद्ध में कौरवों और पांडवों के बीच हुए भीषण महाभारत के युद्ध का जिक्र किया गया है। कुरुक्षेत्र की भूमि पर हुए इस धर्म-युद्ध को लेकर आज भी कई कथाएं प्रचलित हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं इन कथाओं से जुड़े ऐसे ही कुछ तथ्य जो आज भी देखने को मिलते हैं।

    Hero Image
    Mahabharat महाभारत से जुड़ी इन कथाओं के आज भी मौजूद हैं तथ्य।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत की कथा (Mahabharat Katha) आज भी मानव मात्र को प्रेरणा देने का कार्य करती है। जहां अधिकतर हिंदू ग्रंथ हमें ये सिखाते हैं, कि हमें क्या करना चाहिए, वहीं महाभारत हमें बतलाता है कि जीवन में किन गलतियों को करने से बचना चाहिए। महाभारत से जुड़े कई तथ्य आज भी धरती पर मौजूद है, जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    खाटू श्याम की कथा

    खाटू-श्याम की मान्यता आज दूर-दूर तक फैली हुई है, जिसकी कथा भी महाभारत के युद्ध से ही जुड़ी हुई है। खाटू-श्याम जो असल में घटोत्कच के पुत्र यानी बर्बरीक थे, वह महाभारत के युद्ध में भाग लेने पहुचे। भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि बर्बरीक इस युद्ध को कुछ मिनटों में ही समाप्त कर सकते थे। तब भगवान कृष्ण ने एक ब्राह्मण का वेश धारण कर बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया। साथ ही बर्बरीक को यह वरदान भी दिया कि तुम कलियुग में स्वयं श्री कृष्ण के नाम से पूजे जाओगे। तब बर्बरीक ने श्री कृष्ण के सामने यह इच्छा प्रकट की कि वह इस युद्ध का परिणाम देखना चाहता हैं, तब उसके सर को युद्ध भूमि से कुछ दूरी पर रखा गया, जहां आज खाटू श्याम जी का मंदिर स्थापित है।

    मिलते हैं ये अवशेष

    कुरुक्षेत्र में ही महाभारत का महान युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच लड़ा गया था, जो हरियाणा में स्थित है। इस स्थान पर भी पुरातत्व सर्वेक्षण में महाभारत काल के कई अवशेष जैसे युद्ध में इस्तेमाल होने वाले बाण, भाले आदि पाए गए हैं। साथ ही कुरुक्षेत्र की धरती पर एक प्राचीन कुआं भी मौजूद है, जहां चक्रव्यूह की रचना कर अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को धोखे से मारा गया था।

    यह भी पढ़ें - Diwali 2024: दीपोत्सव पर मां लक्ष्मी के इन मंदिरों के जरूर करें दर्शन, भरपूर मिलेगी कृपा

    इस तरह हुई थी भीम और हनुमान जी की भेंट

    महाभारत में एक कथा मिलती है, जिसके अनुसार, जब भीम किसी कार्य से गंधमादन पर्वत पर गए थे, तो उनके रास्ते में हनुमान जी लेटे हुए थे, जिन्हें वह पहचान नहीं सके। जब भीम ने हनुमान जी को अपनी पूंछ हटाने को कहा, तो हनुमान जी कहने लगे कि तुम स्वयं इस पूंछ को हटा दो। लेकिन जब भीम ने ऐसा करने का प्रयास किया, तो वह पूंछ को हिला तक नहीं सके। आज इस स्थान को हनुमान चट्टी के नाम से जाना जाता है, जो उत्तराखंड में जोशीमठ से लगभग 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित है।

    यह भी पढ़ें -  Mahalaxmi Temple in Ratlam: इस मंदिर में पैसे और जेवर चढ़ाने से धन में होती है वृद्धि, क्या हैं इसकी मान्यताएं

    सातवां ऐतिहासिक घटना स्थल

    महाभारत ग्रंथ की रचना ऋषि वेद-व्यास द्वारा की गई है। पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत की कथा को महर्षि वेद-व्यास ने मौखिक रूप दिया था, जिसे लिपिबद्ध करने का काम गणेश जी ने किया था। ऐसे में उत्तराखंड में वह स्थान पाया जाता है, जहां आज भी महाभारत के रचनाकार महर्षि वेद व्यास जी की गुफा स्थित है। इसके पास में ही गणेश जी की गुफा भी स्थित है। जिसे लेकर यह कहा जाता है कि इसी स्थान पर गणेश जी ने वेद-व्यास की महाभारत को लिखा था। इस स्थान को व्यास पोथी के नाम से जाना जाता है।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।