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    Gita Ke Updesh: व्यक्ति को नर्क ले जाती हैं ये 3 चीजें, कर देती हैं सर्वनाश

    भगवत गीता (Bhagavad Gita Updesh) आज दुनियाभर में प्रसिद्धि हासिल कर चुकी है। साथ ही लोग जीवन को नई दिशा देने के लिए भी इसके ज्ञान को आत्मसात करते हैं। भगवत गीता में असल में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को युद्ध भूमि दिए गए ज्ञान का वर्णन मिलता है। गीता के ये उपदेश आज के समय में भी प्रासंगिक बने हुए हैं।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Mon, 03 Mar 2025 05:33 PM (IST)
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    Gita Updesh सफल जीवन के लिए गीता के उपदेश।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में तीन ऐसे द्वार बताए हैं, जो मनुष्य के लिए विनाश का कारण बन सकते हैं। चलिए गीता में वर्णित इन श्लोकों के माध्यम से जानते हैं कि आखिर कौन-सी चीजें हैं, जो व्यक्ति के विनाश का कारण बन सकती हैं। इसका वर्णन गीता के 16वें अध्याय के श्लोक 21 में मिलता है।

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    नि:स्वार्थ भाव से करें काम

    गीता का उपदेश देते समय भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था कि व्यक्ति को कोई भी काम नि:स्वार्थ भाव से काम करना चाहिए। यानी आपको कोई भी काम बिना फल की इच्छा के करना चाहिए। ऐसे में अगर आप इस सीख को अपने जीवन में उतार लेते हैं, तो दुख का जीवन में कोई स्थान नहीं रह जाएगा।

    त्रिविधं नकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।

    कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।

    श्लोक का अर्थ - गीता के इस श्लोक में उन तीन चीजों का वर्णन किया गया है, जो व्यक्ति को नर्क के द्वार तक ले जाती हैं और वह तीन चीजे हैं - काम यानी भौतिक इच्छा, क्रोध और लोभ अर्थात लालच।

    कैसे बनते हैं विनाश क कारण

    काम - व्यक्ति के मन में काम यानी उसकी भौतिक इच्छाएं उसके आत्मज्ञान में बाधा बन सकती हैं। इस कारण से व्यक्ति पाप का आचरण करने को मजबूर हो जाता है। आपकी भौतिक इच्छाएं जितनी अधिक होती हैं, वह उसे उतना ही गलत रास्ते पर ले जाने के लिए मजबूर करती हैं।

    ये इच्छाएं व्यक्ति को छल-कपट, झूठ बोलने, चोरी और अन्य अनैतिक काम करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं, इसलिए व्यक्ति को भौतिक इच्छाओं को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।

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    क्रोध - क्रोध व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन है। क्रोध में कभी भी कोई फैसला नहीं लेना चाहिए, क्योंकि क्रोध में व्यक्ति की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है और वह अक्सर गलत फैसले ले लेता है। क्रोध में लिए गए फैसले या क्रोध में किया गया काम आगे चलकर नुकसान का कारण बन सकते हैं। इसलिए क्रोध में कभी भी कोई काम न करें, वरना यह आपके विनाश का कारण बन सकता है।

    लोभ - लोभ यानी लालच, मनुष्य के विनाश में अहम भूमिका निभाता है। गीता में भगवान श्रीकृ्ष्ण कहते हैं कि व्यक्ति के पास जितना अधिक होता है, उसका लालच उतना ही बढ़ता जाता है। व्यक्ति का बढ़ता लालच उसे अधर्म का मार्ग चुनने पर मजबूर कर देता है। इसलिए लोभ भी व्यक्ति को नर्क तक ले जाने में अहम भूमिका निभाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।