Gita Updesh: भगवान श्रीकृष्ण ने बताए हैं ऐसे अवगुण, जो इंसान को नहीं होने देते सफल
भगवत गीता में ऐसे कई उपदेश (Bhagavad Gita Updesh) मिलते हैं जिन्हें जीवन में अपनाकर आप नई दिशा पा सकते हैं। आज हम आपको गीता में बताए गए व्यक्ति के तीन ऐसे अवगुणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो उसे जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ने देते। तो चलिए जानते हैं कि सफलता प्राप्ति के लिए किन बातों का ख्याल रखने की जरूरत है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गीता न केवल एक धार्मिक कृति है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन की कई समस्याओं को हल करने में भी मदद करती है। गीता में महाभारत की युद्ध भूमि में हुए भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच का संवाद का वर्णन मिलता है। गीता की प्रसिद्धि केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी लोग इसका पाठ करते हैं और इसमें दी गई सीख को आत्मसात भी करते हैं।
लक्ष्य से भटक जाता है इंसान
गीता में उल्लेख मिलता है कि किसी भी चीज से जरूरत से ज्यादा लगाव व्यक्ति को कष्ट ही पहुंचाता है। क्योंकि ऐसी स्थिति में व्यक्ति का सारा ध्यान और ऊर्जा उसी चीज में लगी रहती है और व्यक्ति अपने लक्ष्य पर ध्यान नहीं दे पाता। इसी के चलते आपका किसी के प्रति अधिक मोह आपकी तरक्की के लिए रुकावट पैदा कर सकता है। इसलिए जितना जल्दी हो सके, अपनी इस कमी को दूर करें।
नहीं मिलती सफलता
श्रीमद्भगवद्गीता में इस बात का वर्णन मिलता है कि घमंड व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। वह उसे विनाश की तरफ ले जाता है। घमंड के कारण व्यक्ति की बुद्धि दूषित हो जाती है। एक घमंडी व्यक्ति कभी भी अपनी गलती स्वीकार नहीं करता। अपनी इन्हीं सब आदतों को चलते वह कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर पाता। इसलिए अगर आप जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो कभी भी घमंड न करें।
यह भी पढ़ें - क्यों शादी से पहले मां शबरी बन गईं सन्यासी, महाकुंभ से जुड़ा है गहरा नाता
जल्द सुधारें ये आदत
आलस भी व्यक्ति के उन अवगुणों में शामिल है, जो उसे जीवन में सफल बनने से रोकता है। आलसी व्यक्ति अपने काम को हमेशा टालता है, जिस कारण वह कभी सफल नहीं हो पाता। भगवद्गीता में भी इस बात का श्रीकृष्ण ने बताया है कि व्यक्ति का आलस्य उसे सफल होने से रोकता है, क्योंकि एक आलसी व्यक्ति सिर्फ आराम करना चाहता है और काम करने से कतराता है। ऐसे में व्यक्ति को अपनी इस बुरी आदत में बदलाव करना चाहिए, ताकि वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ सके।
यह भी पढ़ें - शुक्राचार्य की यह बात न मानना राजा बलि को पड़ा था महंगा, इस तरह टूटा था दानवीर का अहंकार
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।