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    Gita Jayanti 2023: गीता जयंती पर इस विधि से करें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा, शुभ फल की होगी प्राप्ति

    By Jagran NewsEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 18 Dec 2023 01:29 PM (IST)

    मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मत है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस अवसर पर पूजा और व्रत करने से साधक को जीवन के दुखों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल 22 दिसंबर को गीता जयंती है।

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    Gita Jayanti 2023: गीता जयंती पर इस विधि से करें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा, शुभ फल की होगी प्राप्ति

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Gita Jayanti 2023 Date: मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मत है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस अवसर पर पूजा और व्रत करने से साधक को जीवन के दुखों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस साल 22 दिसंबर को गीता जयंती है। मान्यता है कि गीता जयंती के दिन विधिपूर्वक पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और घर में खुशियों का आगमन होता है, तो चलिए आपको बताते हैं गीता जयंती की पूजा विधि के बारे में।

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    गीता जयंती पूजा विधि

    • गीता जयंती के दिन सुबह उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र वस्त्र धारण करें।
    • इसके बाद मंदिर की सफाई करें और भगवान सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें।
    • इस अवसर पर श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करना फलदायी होता है।
    • अब अक्षत और फूल से ग्रंथ की पूजा करें और पाठ का प्रारंभ करें। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। इस दिन लोगों को गीता ग्रंथ का दान करना चाहिए।
    • इसके अलावा श्रद्धा अनुसार फल, मिठाई, धन, गर्म कपड़े का दान करना चाहिए। मान्यता है कि इस काम को करने से भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं।

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    गीता जयंती का महत्व

    सनातन धर्म में गीता जयंती का खास महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। गीता ग्रंथ व्यक्ति के उत्थान प्रमुख स्तोत्र मानी जाती है। इस दिन मोक्षदा एकादशी भी होती है। इस असवर पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है।

    गीता के श्लोक

    1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

    मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।

    2. चिन्तया जायते दुःखं नान्यथेहेति निश्चयी।

    तया हीनः सुखी शान्तः सर्वत्र गलितस्पृहः॥

    3. श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।

    ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥

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    Author- Kaushik Sharma

    डिसक्लेमर:'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'