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    Geeta Jayanti 2024: कब और क्यों मनाई जाती है गीता जयंती? यहां पढ़ें इसकी वजह

    Updated: Tue, 03 Dec 2024 10:40 AM (IST)

    मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस तिथि पर मोक्षदा एकादशी व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार 11 दिसंबर को गीता जयंती (Geeta Jayanti 2024) है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का अमृत संदेश दिया था। ऐसे में आइए जानते हैं गीता जयंती से जुड़ी विशेष बातें।

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    Geeta Jayanti 2024: गीता जयंती का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी व्रत को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। मार्गशीर्ष माह में मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है। इसी दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर जगत के पालनहार भगवन विष्णु और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि उपासना करने से जातक को सुख-शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही रुके हुए काम पूरे होते हैं। क्या आपको पता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती ( Geeta Jayanti 2024 Kab Hai) क्यों मनाई जाती है? अगर नहीं पता, तो चलिए इस आर्टिकल में हम आपको इसकी वजह के बारे में बताएंगे।

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    ये है वजह (Geeta Jayanti 2024 Significance)

    सनातन शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसी वजह से हर साल इसी तिथि पर गीता जयंती मनाई जाती है। गीता जयंती का पर्व भगवत गीता के जन्म को समर्पित है। मोक्षदा एकादशी के दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र गीता का उपदेश दिया था। इस दिन जातक विष्णु जी की कृपा प्राप्त करने के लिए विधिपूर्वक मोक्षदा एकादशी का व्रत-पूजा (Geeta Jayanti Puja Vidhi) करते हैं और श्रद्धा अनुसार दान करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है।

    गीता जयंती 2024 शुभ मुहूर्त (Geeta Jayanti 2024 Date and Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 12 दिसंबर को देर रात 01 बजकर 09 मिनट पर होगा। ऐसे में 11 दिसंबर को गीता जयंती मनाई जाएगी।

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    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से 02 बजकर 39 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 50 मिनट तक

    अमृत काल- सुबह 09 बजकर 34 मिनट से 11 बजकर 03 मिनट तक

    गीता श्लोक

    हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।

    तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥ (द्वितीय अध्याय, श्लोक 37)

    इस श्लोक का अर्थ है कि युद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हो तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और और युद्ध में विजय होने पर धरती का सुख पा जाओगे... इसलिए उठो, हे कौन्तेय (अर्जुन), और निश्चय करके युद्ध करो।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।