Gangaur Vrat 2025 Katha: गणगौर पूजा में जरूर करें इस कथा का पाठ, खुशहाल होगा वैवाहिक जीवन
हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर गणगौर पूजा (Gangaur Vrat 2025) का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार इस बार गणगौर पूजा का पर्व आज यानी 31 मार्च को मनाया जा रहा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां व्रत करती हैं और भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में गणगौर पूजा का विशेष महत्व है। इस पर्व को राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात समेत आदि राज्यों में अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां व्रत करती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है और अखंड सौभाग्य प्राप्ति होती है। साथ ही मनचाहा वर मिलता है।
ऐसा माना जाता है कि गणगौर पूजा (Gangaur Vrat 2025) के दौरान व्रत कथा का पाठ न करने से पूजा सफल नहीं होती है। इसलिए कथा का पाठ करना न भूलें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस गणगौर व्रत को करने से साधक को भगवन शिव और मां पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। आइए पढ़ते हैं गणगौर व्रत कथा।
गणगौर पूजा 2025 शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 31 मार्च को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर होगी और अगले दिन यानी 01 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 42 मिनट तिथि खत्म होगी। इस प्रकार आज यानी 31 मार्च को गणगौर व्रत किया जा रहा है।
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गणगौर पूजा कथा (Gangaur Puja Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर महादेव और मां पार्वती के संग नारद जी एक गांव में पहुचें। तो गांव की निर्धन स्त्रियों उनका स्वागत और पूजा की। मां पार्वती ने उनके पूजा भाव को समझा और उन पर सुहाग रस छिड़क दिया। इसके बाद अटल सुहाग की प्राप्ति कर लौटी। धनी स्त्रियों ने भी सोने चांदी के थाल में सजाकर पूजा की।
इस दौरान महादेव ने देवी से पूछा कि सारा सुहाग रस तो निर्धन स्त्रियों को दे दिया, तो धनी स्त्रियों को क्या दोगे? मां पार्वती ने कहा कि स्त्रियों को ऊपरी पदार्थों से निर्मित रस दिया गया है। इसलिए इनका रास धोती से रहेगा। इन स्त्रियों को अपनी अंगुली चीर कर सुहाग रस दूंगी। इससे वह मेरे समान ही सौभाग्यवती हो जाएंगी। जब इन स्त्रियों पर मां पार्वती ने रक्त को उनके ऊपर छिड़क दिया। तो उन्हें वैसा ही सुहाग पा लिया।
देवी ने तुम सब वस्त्र और आभूषणों का त्याग कर दो। पति की सेवा करो। इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी। इसके बाद मां पार्वती नदी में स्नान करने चली गईं। उन्होंने प्रसाद ग्रहण किया। पूजा के दौरान पार्थिव लिंग से शिवजी प्रकट हुए। महादेव ने पार्वती को वरदान दिया कि आज के दिन जो स्त्री विधिपूर्वक मेरी पूजा करेगी, उसका पति चिरंजीवी रहेगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तभी से गणगौर पूजा का पर्व मनाया जाता है।
फिर दो कणों का प्रसाद ग्रहण किया और अपने माथे पर तिलक लगाया। पूजन के दौरान उस पार्थिव लिंग से शिवजी प्रकट हुए। फिर उन्होंने पार्वती को वरदान दिया। उन्होंने कहा कि आज के दिन जो भी स्त्री मेरा विधि-विधान से पूजन करेगी और तुम्हारा व्रत करेगी उसका पति चिरंजीवी रहेगा। ऐसा करने वाली महिला को मोक्ष की प्राप्ति होगी। माता पार्वती को यह वरदान देकर शिवजी अंतर्धान हो गए। तब से ही चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को शिव-पार्वती की पूजा की जाती है।
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